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Deoghar News: गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने नौलखा मंदिर के जीर्णोद्धार की रखी आधारशिला, 90 साल पहले हुआ था मंदिर का निर्माण

देवघर के नौलखा मंदिर के जीर्णोद्धार की पहल गोड्डा लोकसभा सांसद निशिकांत दुबे ने की है. उन्होंने कहा कि मंदिर का चहुंमुखी विकास किया जाएगा, ताकि बाहर से आनेवाले पर्यटकों को पूजा-पाठ में कोई परेशानी नहीं आए.

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MP Nishikant Dubey Laid The Foundation Stone

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Published : Jul 30, 2023, 7:07 PM IST

देवघर:गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने रविवार को देवघर के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल नौलखा मंदिर का निरीक्षण किया. इस दौरान सांसद निशिकांत ने कहा कि यह चारुशीला ट्रस्ट की संपत्ति है, जो लगभग 90 साल पहले बनाई गई थी, जो पहले काफी भव्य और आकर्षक था. सांसद ने कहा आज नौलखा मंदिर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच गया है. उन्होंने इस मंदिर के जीर्णोद्धार की पहल की है. उन्होंने बताया कि मंदिर में ड्रेनेज सिस्टम, लाइटिंग की व्यवस्था, 24 घंटे पूजा-पाठ की व्यवस्था करायी जाएगी. इसको लेकर काफी तेजी से कार्य चल रहा है.

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दिसंबर 2023 तक मंदिर जीर्णोद्धार का है लक्ष्यःसांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि नौलखा मंदिर के जीर्णोद्धार का काम नवंबर से दिसंबर 2023 तक पूरा करने का निर्देश दिया गया है. साथ ही सांसद ने कहा कि मंदिर परिसर में लंगर की भी व्यवस्था करायी जाएगी, ताकि आने वाले पर्यटकों को मुफ्त में भोजन कराया जा सके. उन्होंने कहा कि मंदिर का चहुंमुखी विकास किया जाएगा.

पथरिया घाट की रानी ने मंदिर के निर्माण के लिए किया था दानःबताते चलें कि नौलखा मंदिर का निर्माण 1940 में कराया गया था. मंदिर के निर्माण के लिए कोलकाता के एक शाही परिवार पथरिया घाट की रानी चारुशीला ने नौ लाख रुपए दान में दिए थे. इसलिए मंदिर का नाम नौलखा रखा गया है. इसकी वास्तुकला कोलकाता में बेलूर मठ की तरह है. मंदिर में राधे-कृष्ण की सुंदर मूर्तियां स्थापित हैं. साथ ही संत बालानंद ब्रह्मचारी की एक मूर्ति स्थापित है.

मंदिर के निर्माण से जुड़ी कहानीःबताया जाता है कि पथरिया घाट की रानी चारुशीला ने अपने पति अक्षय घोष और बेटे जतिंद्र घोष को कम उम्र में खो दिया था. पति और पुत्र की मौत से वह काफी दुखी रहती थीं और अकेलापन महसूस करती थीं. शांति की तलाश में उन्होंने अपना घर छोड़ दिया था और संत बालानंद ब्रह्मचारी से मुलाकात के लिए देवघर आई थीं. रानी बालानंद ब्रह्मचारी के आश्रम में रहीं. बाद में उन्होंने बालानंद ब्रह्मचारी के शिष्यत्व भी स्वीकार की थीं. तत्पश्चात बालानंद ब्रह्मचारी ने उन्हें उपदेश दिया और उनके व्यथित मन को शांत किया. इसके लिए उन्होंने रानी को एक मंदिर बनाने की सलाह दी. मंदिर के निर्माण के लिए रानी ने नौ लाख रुपए दान दिए थे. जिससे इस मंदिर का निर्माण कराया गया था.

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