देवघरः श्रावण माह भगवान शिव का अत्यंत प्रिय महीना माना जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्त उनपर उनकी प्रिय चीजें अर्पित करते हैं, इन्ही में से एक है बेलपत्र. सिर्फ एक बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं.
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ऐसी मान्यता है कि अगर भगवान शिव पर बेलपत्र नहीं चढ़ाया तो उनकी पूजा अधूरी मानी जाती है. हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव को प्रसन्न करना है तो एक बेलपत्र और एक कलश जल अर्पित कर देने मात्र से ही भगवान शिव ना सिर्फ खुश होंगे बल्कि भक्त की सारी मनोकामनाएं पूरी करेंगे. आइए जानते हैं कि भगवान शिव को बेलपत्र इतने प्रिय क्यों है. दरअसल समुद्र मंथन के दौरान जब हलाहल विष निकला तो उसके असर से सृष्टि का विनाश होने लगा. इसे रोकने के लिए महादेव ने हलाहल पी लिया और अपने कंठ में रोक लिया. इसकी वजह से उनको शरीर में काफी जलन होने लगी और कंठ नीला पड़ गया. बेलपत्र विष के प्रभाव से उत्पन्न होने वाली ताप को कम करता है. इसलिए देवी देवताओं ने उनके सिर और शरीर के जलन को कम करने लिए उन्हें बेलपत्र देना शुरू किया और महादेव बेलपत्र चबाने लगे. इस दौरान उनके सिर को ठंडा रखने के लिए जल भी अर्पित किया गया. बेलपत्र और जल के प्रभाव से भोलेनाथ के शरीर में उत्पन्न गर्मी शांत हो गया तभी से महादेव पर जल और बेलपत्र अर्पित करने की परंपरा शुरू हुई.
बेलपत्र चार प्रकार के होते हैंः बेलपत्र का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व काफी है. किसी भी शुभ कार्य में इसका प्रयोग होता है. बेलपत्र चार प्रकार के होते है अखंड बेलपत्र, तीन पत्तियों के बेलपत्र, 6 से 21 पत्तियों के बेलपत्र और श्वेत बेलपत्र. इन सभी बेलपत्र का अपना अपना महत्व है. अखंड बेलपत्र का वर्णन बिल्ववास्तक में है. यह अपने आप में लक्ष्मी सिद्ध है, एकमुखी रुद्राक्ष के समान ही इसका अपना विशेष महत्व है. यह वस्तु दोष का निवारण भी करता है.
देवघर में सालोंभर बेलपत्र की बिक्रीः देवघर के पुरोहित एवं बेलपत्र बेचने वाले बताते है कि देवघर बाबा मंदिर में सालोंभर बेलपत्र चढ़ाया जाता है. खासकर श्रावण माह में भगवान शिव को बेलपत्र अति प्रिय है. इसलिए सावन के महीने में इसकी बिक्री काफी बढ़ जाती है. पुरोहित बताते है कि झारखंड और बिहार के अलग अलग जंगलों से जैसे त्रिकुट, डिग्रियां, चतरा, हजारीबाग, जमुई, मुंगेर से दुर्लभ बेलपत्र तोड़कर देवघर में बाबा भोलेनाथ को अर्पित किया जाता है.