रांचीः बाबा नगरी, देवघर के त्रिकूट पर्वत पर हुए रोपवे हादसे के बाद चला रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा कर लिया गया है. इस ऑपरेशन के दौरान कुल 60 लोगों की जान बचाई गई है. हालांकि 3 लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी. इनमें दो महिलाएं और एक पुरुष शामिल हैं. ईटीवी भारत की इस रिपोर्ट से जानिए त्रिकूट पहाड़ रोपवे हादसे का पूरा घटनाक्रम.
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10 अप्रैलको रामनवमी के दिन जमीन से करीब 760 मीटर ऊपर त्रिकूट पर्वत पर रोपवे सेवा का आनंद लेने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे. लेकिन शाम 4:00 से 5:00 के बीच हादसा होने की वजह से सभी ट्रालियां जहां की तहां फंस गईं. इस दौरान त्रिकूट पर्वत पर नीचे की तरफ आ रही एक ट्रॉली रोपवे से नीचे गिर गईं. जिसकी वजह से एक महिला की मौत हो गई जबकि एक बच्चा गंभीर रूप से घायल हो गया.
इस हादसे के बाद रोपवे सिस्टम के मेंटेनेंस का कार्य करने वाले पन्नालाल नाम के स्थानीय शख्स ने ग्रामीणों की मदद से अपने स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया और 15 लोगों की जान बचाई. पन्नालाल ने बताया कि 10 अप्रैल की शाम 4:30 से 5:00 के बीच अचानक जोर की आवाज हुई. इसके बाद सारी ट्रॉलियां हवा में झूलती नजर आई. इसके फौरन बाद उन्होंने स्थानीय ग्रामीणों की मदद से ऑपरेशन शुरू किया और चट्टान के करीब वाली ट्रॉलियों में फंसे लोगों को हार्नेस के सपोर्ट से नीचे उतारना शुरू किया.
इस दौरान जिला प्रशासन की चूक साफ नजर आई. हादसे के कई घंटे बाद भी जिला प्रशासन की तरफ से ट्रॉली में फंसे लोगों को पानी या नाश्ता की सुविधा नहीं मुहैया कराई गयी. ऐसे विपरीत हालात में पन्नालाल ने ग्रामीणों के साथ मिलकर जहां तक संभव हो सका ट्रॉलियों में फंसे लोगों को ड्रोन के जरिए पानी और नाश्ता पहुंचाया.
10 अप्रैल को रामनवमी जुलूस के समापन के बाद जिला प्रशासन की नींद खुली. देवघर के डीसी मंजूनाथ भजंत्री ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने के लिए सेना की मांग की. इसको केंद्र सरकार ने गंभीरता से लिया और 11 अप्रैल की सुबह 7:00 बजे से पहले एयर फोर्स, सेना, एनडीआरएफ और आईटीबीपी की टीम मौके पर पहुंच गई. हादसे की खबर मिलते ही गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे भी घटनास्थल पर पहुंच गए और रेस्क्यू में देरी के लिए जिला प्रशासन को खरी-खोटी सुनाई. हालांकि डीसी ने बताया कि उन्होंने शाम होते ही सेना से रेस्क्यू के लिए मदद की मांग कर दी थी.
11 अप्रैल की सुबह जम्मू एंड कश्मीर लाइट इन्फेंट्री की टीम ने एनडीआरएफ की टीम के साथ मिलकर 11 लोगों की जान बचाई. सभी को हार्नेस की मदद से घाटी के बीच उतारा गया. इनमें एक ही परिवार के 5 बच्चों समेत सात लोग भी शामिल थे. इसके बाद ऊंचाई पर मौजूद ट्रालियों में फंसे लोगों को निकालने के लिए एयर फोर्स की टीम ने MI-17 चॉपर की मदद से ऑपरेशन शुरू किया. 11 अप्रैल को कठिन भौगोलिक हालात के बावजूद एयरफोर्स की टीम ने 21 लोगों की जान बचाई लेकिन सूर्य की किरण ढलने से पहले एक शख्स को लिफ्ट करने के दौरान हादसा हो गया और शख्स खाई में जा गिरा.
11 अप्रैल की सुबह 7:00 बजे अलग-अलग ट्रॉली में फंसे 14 लोगों को बचाने के लिए फिर से ऑपरेशन शुरू किया गया. इस दौरान MI-17 हेलीकॉप्टर की जगह लाइट एडवांस ध्रुव हेलीकॉप्टर की मदद ली गई. इसका नतीजा भी सकारात्मक रहा क्योंकि यह MI हेलीकॉप्टर की तुलना में छोटी थी. इसके बावजूद दोपहर के बाद हादसा हो गया और एक महिला की जान चली गई. लिफ्ट करते वक्त महिला जिस रस्सी में बंधी हुई थी वह रोपवे में उलझ गई. इस दौरान पायलट ने जर्क देकर चौपर को ऊपर करने की कोशिश की लेकिन इसी बीच रस्सी टूट गई और महिला खाई में जा गिरी.
इस हादसे में जान गंवाने वाली महिला देवघर की रहने वाली थी. वह अपने पति के साथ एक ट्रॉली में फंसी थी. दोनों के सकुशल वापसी के लिए उनकी बेटी और दामाद 10 अप्रैल की रात से ही त्रिकूट पर्वत पर टकटकी लगाए बैठे थे. इस हादसे के बाद महिला की अर्चना नामक बेटी ने मौके पर मौजूद स्थानीय सांसद निशिकांत दुबे आपदा प्रबंधन सचिव अमिताभ कौशल और डीसी को खरी-खोटी सुनाई.