देवघर:जेएसएससी (JSSC) नियुक्ति नियमावली को रद्द किए जाने के झारखंड हाइकोर्ट के फैसले को झारखंड सरकार कानूनी सलाह लेने के बाद ऊपरी अदालत में चुनौती (JSSC Recruitment Rules may be challenged in SC) दे सकती है. उक्त बातें मुख्य्मंत्री हेमंत सोरेन ने देवघर में कही है.
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दरअसल खतियानी जोहार यात्रा के दौरान देवघर में जनसभा को सम्बोधित करते वक्त छात्रों के एक समूह ने मुख्यमंत्री से नियमावली को हर हाल मे लागू करने की मांग कर रहे थे. भाषण के बीच जब छात्रों की आवाज मुख्यमंत्री तक पहुंची तो उन्होने झारखंड हाइकोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए अन्य राज्यों का हवाला दिया और कहा, बाकी राज्यों ने भी 10वीं और 12वीं पास छात्रों के लिए अपनी नियमावली बनाई है. लेकिन, यह इस राज्य का दुर्भाग्य है कि जब अपने राज्य की नौकरी के लिए यह नियमावली बनाई गई तो इसे रद्द कर दिया गया.
कल तक नमाज कक्ष से लेकर धार्मिक और नफरती राजनीति करके राज्य की जनता का समय और संसाधन बर्बाद करने में लगे विपक्षी दल ने इस मुद्दे को अपने पाले में ऐसे भुनाना शुरू कर दिया है. जैसे कोर्ट में इस मामले की पूरी लड़ाई विपक्षी पार्टियों ने ही लड़ी हो. सत्ता पक्ष भी विपक्ष की इस चालाकी को अच्छी तरह समझ रहा है. लिहाजा सरकार पूरे मामले में कानून के जानकारों के साथ-साथ राजनीतिक विद्वानों की राय ले रही है. जाहिर है झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र से पहले झारखंड हाईकोर्ट के फैसले ने मुद्दा विहीन हो चुके विपक्ष को हंगामा करने के लिए एक नया मुद्दा दे दिया है.
झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण की बेंच ने हेमंत सरकार की तरफ से नियुक्ति नियमावली में किए गए संशोधन को असंवैधानिक और गलत करार देते हुए रद्द कर दिया है. दरअसल नई नियमावली के तहत झारखंड से 10वीं और 12वीं पास अभ्यर्थी ही JSSC की परीक्षा मे शामिल हो सकते थे. इसके अलावा 14 स्थानीय भाषाओं में से हिंदी और अंग्रेजी को अलग कर दिया गया था. जबकि उर्दू बांग्ला और उड़िया समेत 12 अन्य भाषाओं को स्थानीय भाषाओं में शामिल किया गया था.
जेएसएससी नियुक्ति नियमावली में किए गए संशोधन को झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. जिसमें कहा गया था कि अगर झारखंड के बच्चे अगर दूसरे राज्य में रहकर 10वीं और 12वीं की परीक्षा पास करते हैं. तो वह इस नई नियमावली के तहत JSSC की परीक्षा मे शामिल नहीं हो सकेंगे जो गलत है. और यह नियमावली संविधान मे मिले समानता के अधिकार के साथ ही मौलिक अधिकार का भी उल्लंघन है. मगर सरकार के सुप्रीम कोर्ट जाने से एक बार फिर राज्य के युवाओं को भविष्य की चिंता सताने लगी है. युवाओं को डर है कि कहीं सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते-आते उनकी उम्र ही ना निकल जाए और नौकरी करने का सपना सपना ही ना रह जाए.
देवघर में आज मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खतियानी जोहार यात्रा के तहत भाजपाइयों पर खूब अपनी भड़ास निकली. मुख्यमंत्री ने कहा कि दूसरे के शासन काल में महंगाई भाजपाइयों को डायन लगती थी. आज इतना महंगाई लगातार बढ़ रही है. अभी भाजपा वालों को महंगाई भौजाई लग रही है? बड़ी बड़ी सरकारी कम्पनियों को मर्ज कर भाजपाइयों ने गरीबों पिछड़ों और दलितों को उनके अधिकार से वंचित कर दिया है.