देवघर: जिले के चितरा माइंस के विस्थापितों ने दमगढ़ा आम बागान में सभा की और प्रबंधन के विरोध में आवाज बुलंद की. दमगढ़ा आम बागान में चितरा, बाउरी टोला, बरमरिया, दमगढ़ा, तुलसीडाबर, जमनीटांड़, खून, छाताडंगाल, चूड़ीकनाली, आमडंगाल, ताराबाद, जमुआ आदि गांव से हजारों की संख्या में विस्थापित परिवार उपस्थित हुए और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शशांक शेखर भोक्ता के नेतृत्व में एक सभा की.
Deoghar News: विस्थापित परिवारों के समर्थन में उतरे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शशांक शेखर भोक्ता, कहा- चितरा प्रबंधन को देना होगा विस्थापितों को वाजिब हक
चितरा माइंस के विस्थापितों ने एक सभा की और चितरा कोलियरी प्रबंधन की नीतियों का विरोध किया. जिसमें पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शशांक शेखर भोक्ता भी शामिल हुए. उन्होंने सभा में कहा कि चितरा माइंस प्रबंधन विस्थापितों की अनदेखी कर रहा है, लेकिन प्रबंधन को विस्थापितों का वाजिब हक देना ही पड़ेगा.
Published : Sep 15, 2023, 2:58 PM IST
विस्थापितों की अनदेखी कर रहा चितरा माइंस प्रबंधनः इस दौरान पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शशांक शेखर भोक्ता ने कहा कि चितरा माइंस के विस्थापितों की अनदेखी कर और उन्हें झूठे मुकदमे में फंसाकर कोलियरी अपना विस्तार नहीं कर सकता है. चितरा माइंस प्रबंधन को हर हाल में विस्थापितों की बात सुननी पड़ेगी और उनका वाजिब हक देना ही पड़ेगा. उन्होंने कहा कि विस्थापित परिवार के सदस्यों को तंग किया जा रहा है. चितरा माइंस प्रबंधन ने कोलियरी में काम कर रहे दो कोयलाकर्मी को दबाव डालने के लिए निलंबित कर दिया है और दोनों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया है. हम मांग करते हैं कि दोनों कर्मियों का निलंबन अविलंब वापस लिया जाए और विस्थापन का तमाम हक दिया जाए. वहीं इस मौके पर खून गांव के अरुण महतो, जमुआ मुखिया प्रतिनिधि राजू दास, विस्थापित परिवार तुलसीडाबर और झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन के सचिव निर्मल मरांडी, दमगढ़ा विस्थापित मोर्चा के अध्यक्ष गोकुल महतो ने भी अपनी बातें रखी.
दलगत भावना से ऊपर उठकर विस्थापितों को हक दिलाएंःबैठक में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शशांक शेखर भोक्ता ने कहा कि विस्थापितों के हक की लड़ाई के लिए हम सब को एक होना पड़ेगा. हम चाहेंगे कि दलगत भावना से ऊपर उठकर सभी नेता एक साथ आएं और विस्थापितों का हक दिलाएं. हम अपने विरोधियों के साथ भी कंधा से कंधा मिलाकर आंदोलन करने के लिए तैयार हैं. पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि प्रबंधन डरा-धमका कर विस्थापतों का हक मारना चाहता है. बहुत से लोग हैं जिन्हें अब तक सही ढंग से मुआवजा नहीं दिया गया है. जमीन के बदले नौकरी कई लोगों को नहीं मिली है.
चितरा कोलियरी में सरकार के नियमों के अनुसार नहीं हो रहा नियोजनः झारखंड सरकार की नई स्थानीय नीति के अनुसार किसी भी संस्था में स्थानीय बेरोजगारों को 75 फीसदी रखना अनिवार्य है, लेकिन जो कंपनियां चितरा कोलियरी में आई हैं वह इस नियम का पालन नहीं कर रही है. बाहरी लोगों का जमावड़ा लगा है. चंद दलाल चितरा प्रबंधन को बहकाकर विस्थापितों का हक मार रहे हैं और अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं. बैठक के बाद हजारों की संख्या में विस्थापित और स्थानीय बेरोजगार लोग रैली की शक्ल में महाप्रबंधक कार्यालय पहुंचे और एसपी माइंस के महाप्रबंधक को मांग पत्र सौंपा.