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एमू पालन कर किसान दीपक बना आत्मनिर्भर, प्रवासी श्रमिकों को भी मिल रहा रोजगार

देवघर के दर्दमारा में एक किसान दीपक ऑस्ट्रेलियन पक्षी एमू का पालन कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं. दीपक ने एमू पालन के गुर सीखे और पहले सीमित संख्या में एमू पालन की शुरुआत की, जिससे उनकी सलाना कमाई 3 लाख से अधिक पहुंच गई. दीपक के पास अब 50-60 एमू है और लॉकडाउन के दौरान वापस लौटे कुछ मजदूरों को भी उन्होंने रोजगार दिया है.

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एमू पालन

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Published : Oct 27, 2020, 9:23 PM IST

Updated : Oct 28, 2020, 6:19 AM IST

देवघर: जिले से लगभग 12 किलोमीटर दूर बिहार झारखंड बॉर्डर के पास दर्दमारा में एक किसान एमू का पालन कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं. किसान ऑस्ट्रेलियन पक्षी एमू का तेल और अंडा बाहर सप्लाई कर सलाना तीन लाख की कमाई कर रहे हैं. एमू का मांस, तेल और अंडा कई रोगों में कारगर माना जाता है.

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जिले के दर्दमारा में किसान दीपक कुमार सिंह एमू पालन कर लखपति बन गए हैं. दीपक सिंह बताते है कि रांची से प्रशिक्षण प्राप्त कर एमू पालन का फैसला लिया था, जिसके बाद खुद से कुछ पैसे की लागत से सीमित संख्या में एमू खरीदकर पालन शुरू किया, लेकिन अब 50 से 60 एमू का पालन कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि एमू के चर्बी से निकला तेल और अंडा से हर साल 3 लाख रुपये की कमाई हो रही है. इमू का मुख्य भोजन मकई के दर्रा है. ये घास भी खाता है और इसका पालन 5 से 55 डिग्री तापमान के खुले आसमान में बंजर भूमि पर किया जाता है. एमू एक ऑस्ट्रेलिया का राष्ट्रीय पक्षी है और अब दीपक सिंह आस-पास पढ़े लिखे लोगों को भी एमू पालन का प्रशिक्षण दे रहे हैं. एमू का तेल, मांस और अंडे से कई बीमारियां खत्म हो जाती है. इम्युनिटी सिस्टम बढ़ाने में एमू खास कारगर है. दीपक इमू का तेल 6 हजार रुपये प्रति किलो और अंडा 1500 रुपये पीस बेच रहे है.

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एमू पक्षी की पालन से लाखों कमाई कर रहे दीपक सिंह से प्रेरित होकर आस-पास के पढ़े लिखे युवा भी अब नौकरी छोड़कर एमू पालन का प्रशिक्षण ले रहे हैं और आत्मनिर्भर बनने की ओर दौड़ लगा रहे हैं. दीपक सिंह एमू का पालन कर लाखों में कमाई कर आत्मनिर्भर तो हो ही रहे हैं, तो दूसरी और लॉकडाउन में प्रदेश से लौटे श्रमिकों को भी अब उनके घर में रोजगार मिल रहा है, जिससे श्रमिक काफी खुश हैं. श्रमिकों को दीपक एमू पालन में मदद के लिए महीने का 9 हजार दे रहे हैं.

Last Updated : Oct 28, 2020, 6:19 AM IST

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