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वीरान हुआ बाबाधाम, देवनगरी में छाई मायूसी

झारखंड में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए झारखंड सरकार ने विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले के आयोजन पर रोक लगा दी है. इस बार भक्तों को ऑनलाइन ही भगवान शंकर का दर्शन कराया जा रहा है. मेला नहीं लगने से पूरा देवघर शहर वीरान नजर आ रहा है.

Effect of corona on Shravani Mela in deoghar
देवनगरी में छाई मायूसी

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Published : Jul 16, 2020, 10:58 PM IST

देवघर: सावन के महीने में केसरियामय दिखने वाले शहर में सन्नाटा पसरा हुआ है. जहां हर साल लाखों की संख्या में हर दिन कांवरिया पहुंचते थे और हर चौक चौराहों से लेकर गलियों में भगवान शंकर की गूंज से गूंजने वाले शहर में पूरी तरह से वीरानी छाई हुई है. सावन में यहां हजारों कारोबारी रोजगार करते हैं. श्रावणी मेले में रोजमर्रा से जुड़े सामानों के साथ बच्चों को खुश करने वाले खिलौनों की भी कई दुकानें बंद पड़ी है. बॉम्बे बाजार में लगने वाले तरह-तरह के झूले पर भी इस बार लोग नहीं झूल सके.

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टूट गई वर्षों पूरानी परंपरा
देवघर में सावन के महीने में काफी काफी बदलाव आ गया है. जहां हर साल बाबा मंदिर में लाखों की संख्या में कांवरिया अर्घा सिस्टम के माध्यम से जलार्पण करते थे, सुरक्षा का व्यापक इंतजाम किया जाता था, शिवधुन से शहर में भक्तिमय माहौल के साथ केसरिमय दिखता था. वह स्वर्गलोक जैसा दिखने वाला देवघर में ही हो बाबा मंदिर की कई परंपरा टूट गई. लोग कोरोना काल में मांगलिक कार्य भी नहीं कर पा रहे हैं.

पूरे शहर में शांति
कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए झारखंड सरकार ने इस बार देवघर में लगने वाले विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले के आयोजन पर रोक लगा दिया है, जिसके बाद से शहर पूरे तरह से वीरान नजर आ रहा है. जहां पूरे सावन महीने में 40 से 45 लाख कांवरिये बाबाधाम पहुंचते थे और देवघर से लेकर सुल्तानगंज तक केसरियामय माहौल देखा रहता था, बोल बम का नारा है बाबा एक सहारा है जैसे मंत्रों से पूरा शहर गुंजायमान होता था. सुरक्षा को लेकर 10 से 12 हजार की संख्या में पुलिस और पदाधिकारियों की तैनाती की जाती थी. वो शहर आज पूरे तरह से शांत हो गया है.

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हजारों लोगों के रोजगार पर असर

देवघर शहर को सावन में दुल्हन के तरह सजाया जाता था, पूरा शहर रौशनी से चकाचौंध रहती थी मानो जैसे बाबा भोले की बारात आई हो. हजारों की संख्या में कांवरिया पथ से लेकर शहर के सभी गलियों-रास्तों में कई दुकानें लगाई जाती थी. जगह-जगह चूड़ी, खिलौना, प्रसाद, बध्धी माला, लोहे का बर्तन, जहां कई भक्त अपने पसंद के सामान खरीदते थे वो पथ भी आज पूरी तरह से शांत हो गया है. श्रावणी मेले से स्थानीय लोगों और व्यवसायियों को काफी फायदा होता था, लेकिन कोरोना काल में मेला नहीं लगने के कारण हजारों लोगों का रोजगार छीन गया है.

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