देवघरः 5 अगस्त को अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण शुरु होगा. इसको लेकर भूमिपूजन किया जाएगा और मंदिर की आधारशिला रखी जाएगी. इस आयोजन को लेकर देशभर में उत्साह का माहौल है. देवघर में भी इसको लेकर लोगों में उत्साह है. लेकिन सबसे ज्यादा उत्साहित वो तबका है, जिन्होंने राम जन्मभूमि आंदोलन में सीधे तौर पर जुड़े रहे. आज उन लोगों का सपना पूरा हो रहा है और उनका संघर्ष सार्थक होता हुआ दिख रहा है. आंदोलन के अग्रणी रहे देवघर के नारायण टिबड़ेवाल ने ईटीवी भारत से अपना अनुभव साझा किया.
'सार्थक हुआ संघर्ष'
आंदोलन के दिनों को याद करते हुए उन्होंने बताया कि 80 के दशक में जब राम जन्मभूमि आंदोलन शुरू हुआ तो यहां के लोगों ने भी इस आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था. गांव से लेकर शहर तक शिला पूजन का अभियान चलाया गया था. तब साध्वी ऋतम्भरा भी लोगों का उत्साह बढ़ाने देवघर पहुंची थीं. यहां से निकले राम भक्तों के जत्थे को तब बनारस में रोक लिया गया था और 15 दिनों तक सभी को जेल में रहना पड़ा था. इतना होने के बाद भी उनका उत्साह कम नहीं हुआ और उस समय भी आंदोलन में अग्रणी रहे. बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष और पूर्व मंत्री राज पालिवार ने भी संघर्ष के दिनों को याद करते हुए बताया कि आज हमारा संघर्ष सार्थक हो चला है. 5 अगस्त को भूमिपूजन के बाद शाम को पूरे देवघर में दीपोत्सव मनाया जाएगा.
शिव को चढ़ता है राम के नाम का बेलपत्र
पौराणिक काल से ही देवघर का नाता देवी-देवताओं से रहा है. भगवान शिव का गहरा नाता इस पावन धरती से है तो विष्णु अवतरित भगवान राम का जुड़ाव भी यहां की मिट्टी से रहा है. दोनों एक दूसरे के ईष्टदेव हैं. भगवान राम शिव की आराधना की तो भगवान शिव भी विष्णु के रूप में भगवान राम की पूजा की. इसलिए आज भी बाबाधाम में राम नाम का विल्व पत्र भगवान शिव को चढ़ाया जाता है. सदियों से चली आ रही इस परंपरा का निर्वहन आज भी किया जाता है.