देवघरः कोरोना बंदी ने देवघर में बांस की टोकरी बनाने वाले छोटे कारीगरों को बुरी तरह प्रभावित किया है. प्रसाद के रूप में पेड़ा की पेकिंग करने के लिए इस बांस की टोकरी का ही इस्तेमाल होता है. पिछले 2 महीने से टोकरी का व्यवसाय पूरी तरह से ठप पड़ा है, जिससे उनके सामने भारी परेशानी आ रही है. इन कारीगरों ने सरकार से मदद की गुहर लगाई है. यहां बड़ी संख्या में लोग इस व्यवसाय से जुड़े हैं.
देवघर के मोहनपुर प्रखंड स्थित बांक गांव के कारीगर दरअसल देवघर आने वाले श्रद्धालु जब पेड़े की खरीदारी करते हैं तो इसी बांस की टोकरी में पेड़ा पैक कर दिया जाता है.
श्रद्धालु भी पॉलीथिन की जगह प्रसाद की खरीदारी के लिए यही बांस की टोकरी ही पसंद करते है. आम दिनों में बांस की टोकरी की अच्छी खपत के कारण यहां के इन कारीगरों को प्रतिदिन अमूमन 300 से 400 रुपये की आमदनी हो जाया करती है, लेकिन कोरोना बंदी में मंदिर लंबे समय से बन्द रहने के कारण इनका यह पुश्तैनी धंधा पूरी तरह चौपट होने लगा है.
इस क्षेत्र में दर्जनों परिवार बांस की टोकरी बनाकर ही अपने परिवार का भरण पोषण करते आ रहे है. लेकिन अब टोकरी की खपत नही होने से दर्जनों की संख्या में यह परिवार भुखमरी के कगार पर पहुच गए है. दूसरी ओर स्थानीय प्रशासन इन कारीगरों को जल्द ही रोजगार मुहैया कराने का आश्वासन दे रहा है.