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Deoghar News: बाबा बैद्यानाथ मंदिर देवघर की परंपरा को तोड़ना अनुचित, उच्च न्यायालय से मार्गदर्शन लिए जाने की जरूरत : कृष्णानंद झा - मंदिर सरकारी तंत्र के अधीन

श्रावण की सातवीं सोमवारी के दिन देवघर के बैद्यनाथ मंदिर का पट सुबह साढ़े तीन बजे तक खुला रखने का मामला अब तूल पकड़ लिया है. इस पर बैद्यनाथ धाम मंदिर के मुख्य ट्रस्टी कृष्णानंद झा ने नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि बाबा मंदिर के इतिहास में आज तक ना सुबह तक मंदिर का पट खुला रहा और ना ही शाम को होने वाली शृंगार पूजा रात 1:30 बजे हुई है. पदाधिकारियों ने शास्त्र संगत नियम का मजाक बना दिया है.

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Chief Trustee Of Baidyanath Temple Krishnanand Jha

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 23, 2023, 7:04 PM IST

देवघर: पिछले दिनों बाबा मंदिर में देर रात तक जल चढ़ाने का मामला सामने आने के बाद बैद्यनाथ धाम मंदिर के मुख्य ट्रस्टी सह पूर्व मंत्री कृष्णानंद झा ने कड़ा एतराज जताया है. कृष्णानंद झा ने कहा कि बाबा मंदिर की सारी परंपराओं को मंदिर में पदस्थापित पदाधिकारियों ने तोड़ने का कार्य किया है.अबतक के इतिहास में सुबह साढ़े तीन बजे तक मंदिर का पट खुला रखने और बाबा की संध्याकाल में होनी वाली शृंगार पूजा रात के 1ः30 बजे करना कहीं से भी न धर्मगत है और न ही बैद्यनाथधाम की पूजा पद्धति के अनुकूल है.

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शास्त्र संगत नियम का पदाधिकारियों ने बनाया मजाकःउन्होंने सख्त लहजे में कहा कि जब तक मंदिर की व्यवस्था सरकारी पदाधिकारी के नियंत्रण में रहेगा, इसी तरह के अनुचित कार्य होते रहेंगे, ताकि मंदिर की परंपरा समाप्त हो जाए. कृष्णानंद झा ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा इस तरह के कार्य से बैद्यनाथधाम की शास्त्र संगत नियम सिर्फ मजाक बनकर रह जाएगा. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि भारत में जितने भी मंदिर सरकारी तंत्र के अधीन हैं, वहां इस प्रकार की परंपरा नहीं तोड़ी गई है, जो हमारे यहां बैद्यनाथ मंदिर में हुआ.

उच्च न्यायालय को मामले से अवगत कराना चाहिएःअंत में कृष्णानंद झा ने कहा कि अब समय आ गया है कि इस तरह के क्रियाकलाप के विरुद्ध उच्च न्यायालय को अवगत कराना चाहिए, ताकि उच्च न्यायालय से उचित मार्गदर्शन प्राप्त हो सके. ज्ञात हो श्रावण मास की सातवीं सोमवारी के दिन देवघर में कांवरियों की अत्यधिक भीड़ हो जाने के कारण बाबा मंदिर में देर रात तक श्रद्धालुओं को जलार्पण कराया गया था. जिसका पंडा समाज विरोध कर रहे हैं.

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