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अक्षय तृतीया पर सात समुद्रों के जल से बाबा वैद्यनाथ का अभिषेक, परिसर में द्वादश ज्योतिर्लिंगों की विशेष पूजा, अलग-अलग समाज के लोगों ने की पूजा

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Published : May 3, 2022, 9:26 PM IST

अक्षय तृतीया 2022 पर मंगलवार को बाबाधाम में विशेष पूजा की गई. इस दौरान बाबा वैद्यनाथ समेत आदिदेव के अन्य ज्योतिर्लिंगों की प्रतिकृति बनाकर पूजा की गई. अलग-अलग समुदायों के लोगों ने पूजा-अर्चना की.

Abhisheka of Baba Vaidyanath
बाबा वैद्यनाथ का अभिषेक

देवघर:अक्षय तृतीया 2022 पर देवघर के बाबा वैद्यनाथ मंदिर में मंगलवार को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. इस दौरान बाबा वैद्यनाथ समेत भगवान शिव के सभी द्वादश ज्योतिर्लिंगों की विशेष पूजा की गई. इससे पहले आदिदेव के ज्योतिर्लिंगों के प्रतिरूप बनाकर सभी स्वरूपों का आवाहन कर सात समुद्रों के जल से अभिषेक किया गया. इस अभिषेक के लिए समाज के अलग-अलग वर्ग के प्रतिष्ठित लोगों को बुलाया गया था. देवघर पंडा धनलक्ष्मी सभा की ओर से 12 ज्योतिर्लिंग का प्रतिरूप बनाकर पारंपरिक विधि से पूजा-अर्चना कराई गई. विश्व में फैली अशांति को दूर करने की भी कामना की गई. साथ ही समाज में सौहार्द्र का संदेश भी दिया गया.

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बता दें कि बाबा धाम मंदिर में विशेष पूजा की शुरुआत 2017 में की गई थी. इससे पहले सैकड़ों साल तक इस तरह की पूजा यहां बंद रही थी. पंडा धर्मरक्षिणी सभा के अध्यक्ष कार्तिक नाथ ठाकुर ने बताया कि वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन ज्योतिष शास्त्र और पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक अपना एक अलग महत्व है. इसे आम बोलचाल की भाषा में अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है. इस दिन उपनयन, दानपुण्य जैसे शुभ कार्य किए जाते हैं तो बाबा मंदिर देवघर में सदियों पहले होने वाली विशेष पूजा का महत्व रहा, जो किन्हीं कारणों से बंद हो गई थी और 2017 में इसे दोबारा शुरू किया गया. आज के दिन सरदार पंडा की ओर से गर्भ गृह में संध्याकाल में विशेष पूजा अर्चना की जाती है और साथ ही साथ मंदिर प्रांगण में स्थित बाकी सभी 22 मंदिरों में भी सरदार पंडा की ओर से पूजा पाठ करने की परंपरा रही है.

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सात समुद्र के जल से शिवलिंग का अभिषेकः पुरोहित लंबोदर मिश्रा ने बताया कि गर्भगृह में सरदार पंडा की ओर से की जाने वाली विशेष पूजा में सात समुद्रों को जल का विशेष महत्व होता है.इसके मुताबिक सबसे पहले बाबा को स्नान समुद्र जल से स्नान कराया जाता है और उसके बाद फिर आगे की पारंपरिक पूजा की जाती है.


12 ज्योतिर्लिंग के प्रतिरूप बनाकर पूजा-अर्चनाः आज के दिन में पंडा धर्मरक्षिणी सभा के अलावा अन्य सामाजिक संगठनों की ओर से ज्योतिर्लिंग की पूजा की जाती है. इसके लिए अलग-अलग जगहों का चुनाव किया जाता है और अलग-अलग संगठन देशभर में स्थापित अलग-अलग ज्योतिर्लिंग के प्रतिरूप को बनाकर पूजा पाठ करते हैं. कोरोना काल के बाद 2 सालों के अंतराल पर अक्षय तृतीया के दिन मंगलवार को मंदिरों में पूजा करने का अवसर आम भक्तों से लेकर सामाजिक और धार्मिक संगठनों को मिला है. ऐसे में कई मांगलिक कार्य जैसे कि मुंडन संस्कार भी कराए गए. पुरोहित बताते हैं कि अक्षय तृतीया के अवसर पर बाबा मंदिर देवघर में सदियों से विशेष पूजा करने की परंपरा चली आ रही है.

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