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चावल बेचकर ग्रामीण बनाने लगे सड़क, अब गांव में नेताओं की एंट्री पर बैन

चतरा के देवकीटांड़ गांव (Devkitand Village) में आजादी के 74 साल बाद भी सड़क का निर्माण नहीं हो सका है. जिससे ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. सरकारी उदासीनता से परेशान ग्रामीणों ने अब चावल बेचकर सड़क का निर्माण कार्य शुरू कर दिया है. वहीं ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों के लिए गांव में नो एंट्री कर दी है.

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सड़क निर्माण

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Published : Aug 11, 2021, 12:27 PM IST

Updated : Aug 11, 2021, 2:22 PM IST

चतरा: जिले के घोर नक्सल प्रभावित सिमरिया प्रखंड मुख्यालय से 10 किलोमीटर की दूर पर स्थित देवकीटांड़ गांव (Devkitand Village) आज भी विकास की बाट जोह रहा है. गांव में सालों से न ही सड़क और न ही पुल का निर्माण हुआ है. जिसके कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सरकारी उदासीनता से नाराज ग्रामीणों ने अब चावल बेचकर सड़क का निर्माण कार्य शुरू कर दिया है. देवकीटांड़ गांव में कई बार पंचायत स्तरीय ग्राम सभा में इस गांव को मुख्यालय से जोड़ने के लिए पीसीसी सड़क बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया था.

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आजादी के 74 साल बीतने के बाद भी देवकीटांड़ गांव का हाल बेहाल है. यह गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. हर बार चुनाव के बाद ग्रामीणों को सड़क निर्माण हो जाने की उम्मीद जगती है, लेकिन उस उम्मीद पर पानी फिर जाता है. पंचायत चुनाव के 10 साल गुजर जाने के बाद भी गांव की सड़क की स्थिति जस की तस है. वाहनों के गांव तक पहुंचने के लिए सड़क और पुल नहीं है. ग्रामीणों ने कहा कि इस बार पंचायत चुनाव से पहले गांव की सड़क का निर्माण नहीं कराया जाता है, तो सामूहिक रूप से वोट का बहिष्कार करेंगे.

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गांव में नेताओं के प्रति आक्रोश

ग्रामीणों ने कहा कि हर बार चुनाव में नेता वोट के समय सड़क और पुल बनाने का आश्वासन देते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद भूल जाते हैं. सड़क और पुल नहीं रहने से प्रखंड मुख्यालय आने-जाने में न सिर्फ परेशानी होती है, बल्कि बारिश के दिनों में दर्जनों गांव टापू में तब्दील हो जाता है. उन्होंने कहा कि इस गांव के मुख्य सड़क मार्ग से नहीं जुड़े रहने के कारण युवक-युवतियों की शादियों में दिक्कत आती है. आज भी कई ऐसे युवक-युवतियां हैं, जिनकी शादी सड़क के अभाव में नहीं हो सकी है. कोई भी लड़की पक्ष इस गांव के लड़के से शादी करना नहीं चाहता है. लोग गांव में सड़क नहीं रहने की बात सुनते ही मुकर जाते हैं. लड़की वाले कहते हैं कि जिस गांव में सड़क और अस्पताल न हो वहां अपनी बेटी की शादी नहीं कर सकते.

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सालों से ग्रामीणों को हो रही परेशानी

देवकीटांड़ गांव में पुल और सड़क बनवाने को लेकर कई बार सरकारी कार्यालयों में आवेदन भी दिया गया, लेकिन सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. ग्रामीण जान जोखिम में डालकर नदी पार करने को मजबूर हैं. गांव से मरीजों को इलाज कराने ले जाना हो या फिर बच्चों को स्कूल जाना हो, सभी को सालों से नदी को पार कर ही जाना पड़ता है. स्थानीय लोगों ने कई बार सड़क और पुल बनाने के लिए विधायक और मंत्री से भी गुहार लगाई, लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. ग्रामीणों ने कहा कि सड़क नहीं बनने की स्थिति में इस बार गांव में किसी भी नेता को नहीं घुसने दिया जाएगा. अगर वो जबर्दस्ती गांव में घुसने का प्रयास करेंगे, तो उनका जूतों का माला पहनाकर स्वागत किया जाएगा. ग्रामीणों ने नेताओं की गांव में नो एंट्री की घोषणा कर दी है.

हर गांव में पहुंचाई जाएगी सरकारी सुविधाएं: सत्यानंद भोक्ता

वहीं राज्य के श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा है कि हेमंत सरकार राज्य के विकास के लिए तत्पर है. जिस गांव में आजादी के बाद से भी विकास कार्य नहीं हुए हैं, उस गांव को समीक्षा बैठक कर चिन्हित करने का आदेश दिया गया है. जल्द ही वैसे गांव में सभी सरकारी सुविधाएं पहुंचाई जाएंगी.

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श्रमदान कर हर साल होती है सड़क की मरम्मत

बरसात के बाद देवकीटांड़ गांव की महिला और पुरुष हर साल श्रमदान कर सड़क की मरम्मत करते हैं. बारिश का मौसम आते ही लोगों को सड़क मरम्मती की चिंता सताने लगती है. देवकीटांड़ गांव के सड़क से होकर कसारी, केंदू, सबानो और भगवानपुर गांव के लोगों का आवागमन होता है. इस सड़क के बन जाने से लोगों को काफी लाभ मिलेगा.

Last Updated : Aug 11, 2021, 2:22 PM IST

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