चतरा: जिले के घोर नक्सल प्रभावित सिमरिया प्रखंड मुख्यालय से 10 किलोमीटर की दूर पर स्थित देवकीटांड़ गांव (Devkitand Village) आज भी विकास की बाट जोह रहा है. गांव में सालों से न ही सड़क और न ही पुल का निर्माण हुआ है. जिसके कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सरकारी उदासीनता से नाराज ग्रामीणों ने अब चावल बेचकर सड़क का निर्माण कार्य शुरू कर दिया है. देवकीटांड़ गांव में कई बार पंचायत स्तरीय ग्राम सभा में इस गांव को मुख्यालय से जोड़ने के लिए पीसीसी सड़क बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया था.
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आजादी के 74 साल बीतने के बाद भी देवकीटांड़ गांव का हाल बेहाल है. यह गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. हर बार चुनाव के बाद ग्रामीणों को सड़क निर्माण हो जाने की उम्मीद जगती है, लेकिन उस उम्मीद पर पानी फिर जाता है. पंचायत चुनाव के 10 साल गुजर जाने के बाद भी गांव की सड़क की स्थिति जस की तस है. वाहनों के गांव तक पहुंचने के लिए सड़क और पुल नहीं है. ग्रामीणों ने कहा कि इस बार पंचायत चुनाव से पहले गांव की सड़क का निर्माण नहीं कराया जाता है, तो सामूहिक रूप से वोट का बहिष्कार करेंगे.
गांव में नेताओं के प्रति आक्रोश
ग्रामीणों ने कहा कि हर बार चुनाव में नेता वोट के समय सड़क और पुल बनाने का आश्वासन देते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद भूल जाते हैं. सड़क और पुल नहीं रहने से प्रखंड मुख्यालय आने-जाने में न सिर्फ परेशानी होती है, बल्कि बारिश के दिनों में दर्जनों गांव टापू में तब्दील हो जाता है. उन्होंने कहा कि इस गांव के मुख्य सड़क मार्ग से नहीं जुड़े रहने के कारण युवक-युवतियों की शादियों में दिक्कत आती है. आज भी कई ऐसे युवक-युवतियां हैं, जिनकी शादी सड़क के अभाव में नहीं हो सकी है. कोई भी लड़की पक्ष इस गांव के लड़के से शादी करना नहीं चाहता है. लोग गांव में सड़क नहीं रहने की बात सुनते ही मुकर जाते हैं. लड़की वाले कहते हैं कि जिस गांव में सड़क और अस्पताल न हो वहां अपनी बेटी की शादी नहीं कर सकते.
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