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चतरा में भू-रैयत और मजदूरों की हड़ताल का 8वां दिन, कोल परियोजनाओं में काम ठप - चतरा में भू-रैयत और मजदूरों के हड़ताल का 8वां दिन

चतरा में सीसीएल के आम्रपाली कोल परियोजना के विस्थापित गांवों में मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ विस्थापन की मांग को लेकर भू-रैयत और मजदूर आठ दिनों से आंदोलनरत हैं. विभिन्न राजनीतिक दलों के विधायक इनके आंदोलन को अपना समर्थन देकर कोल परियोजना परिसर को राजनीति का अखाड़ा बनाते जा रहे हैं. भू-रैयतों के आंदोलन को बड़कागांव के कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद के समर्थन के बाद कोयलांचल की राजनीति गरम हो गई है.

चतरा में भू-रैयत और मजदूरों के हड़ताल का आज 8वां दिन
Today 8th day of land ryots and workers strike in Chatra

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Published : Aug 25, 2020, 3:47 PM IST

चतरा: सीसीएल के आम्रपाली कोल परियोजना के विस्थापित गांवों में बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ विस्थापन की मांग को लेकर भू-रैयत और मजदूर पिछले आठ दिनों से आंदोलनरत हैं. इसके बावजूद न तो सीसीएल प्रबंधन की ओर से आंदोलित रैयतों से वार्ता कर इनकी मांगों पर विचार करने का प्रयास किया गया है और न ही सरकार की ओर से इस पर कोई ध्यान दिया गया.

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आंदोलन का राजनीतिकरण

ऐसे में सीसीएल से आर-पार की लड़ाई के मूड में आ चुके विस्थापित गांवों के सैंकड़ों भू-रैयत भूखे-प्यासे लगातार आम्रपाली कोल परियोजना परिसर में पीओ कार्यालय के पास धरना पर बैठे हैं. जिसके कारण आठ दिनों से आम्रपाली कोल परियोजना में कोल उत्पादन, लोडिंग और डिस्पैच का काम पूरी तरह से ठप है. जिससे सरकार को प्रतिदिन करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है. रैयतों का आरोप है कि सीसीएल ने उनकी भूमि का अधिग्रहण तो कर लिया है लेकिन इसके एवज में न तो उनके विस्थापित गांवों में मूलभूत सुविधाएं अब तक बहाल हुई है और न ही उन्हें विस्थापन का लाभ मिला है. जिससे उनके और उनके परिवार के सामने रोजी-रोटी तक की समस्या उत्पन्न होने लगी है. इसके बावजूद रैयतों की मांगों पर विचार नहीं होने के कारण अब उनके आंदोलन का राजनीतिकरण होता जा रहा है.

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गठबंधन सरकार पर रैयतों की मांगों को तरजीह नहीं देने का आरोप

विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े लोग इनके आंदोलन को अपना समर्थन देकर कोल परियोजना परिसर को राजनीति का अखाड़ा बनाते जा रहे हैं. भू-रैयतों के आंदोलन को बड़कागांव के कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद के समर्थन के बाद कोयलांचल की राजनीति गरम हो गई है. सिमरिया से भाजपा विधायक किसुन दास भी अंबा के बाद रैयतों के सामर्थन में आगे आ गए हैं. उन्होंने प्रदेश की हेमंत सोरेन की गठबंधन सरकार पर रैयतों की मांगों को तरजीह नहीं देने का आरोप लगाते हुए विस्थापन की मांग को लेकर आंदोलित ग्रामीणों के साथ भद्दा मजाक करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि जब प्रदेश में भाजपा की सरकार थी तो जेएमएम के लोग रैयतों की मांगों को प्राथमिकता के आधार पर सरकार बनते ही पूरी करने की बात कहते थे लेकिन अब प्रदेश में यूपीए की सरकार है. इसके बावजूद रैयतों की मांगों पर कोई विचार नहीं किया जा रहा है.

भूमि का अधिग्रहण

सिमरिया विधायक ने कहा कि यूपीए सरकार के सह पर ही प्रदेश में सीसीएल मनमानी कर रहा है. जितने बड़े पैमाने पर मगध-आम्रपाली और पिपरवार कोल परियोजनाओं से कोयले का उत्खनन हो रहा है. उसके अनुरूप अपना घर-जमीन देने वाले रैयतों को उनका हक और अधिकार नहीं मिल रहा है. दो साल पहले तक गैरमजरूआ भूमि पर नौकरी देने वाला सीसीएल प्रबंधन अब भूमि का अधिग्रहण कर रैयतों को मुआवजा और नौकरी देने के बजाय आंखें दिखा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस बाबत कई बार मुख्यमंत्री को रैयतों की समस्या से अवगत भी कराया गया है. ऐसी स्थिति में सरकार को राजनीति को बढ़ावा देने के बजाय अविलंब मामले में संज्ञान लेते हुए आपात बैठक बुलाकर विवाद का निपटारा करना चाहिए.

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