चतरा: लोगों को जीवनदान देने वाला जिला का सिमरिया रेफरल अस्पताल इन दिनों खुद अपनी बेबसी का रोना रो रहा है. यहां रोजाना सैकड़ों मरीजों का इलाज तो हो रहा है. लेकिन सुविधा के नाम पर इस अस्पताल में व्यवस्था न के बराबर है. रेफरल अस्पताल और सामुदायिक केंद्र के भवन जर्जर हो चुका है.
जर्जर हाल में अस्पताल
आलम यह है कि बरसात के मौसम में छत से टपकने वाले बूंद-बूंद पानी मरीज और स्वास्थ्यकर्मियों को सदमे में डाल देता है. बीच-बीच में छत की टूटती परत भी गिरकर अपनी बदहाली का एहसास करा देती है, जिससे यहां इलाज कराने पहुंचे मरीजों के साथ-साथ स्वास्थ्यकर्मियों को भी किसी अनहोनी का डर सताते रहता है.
जर्जर भवन में क्षतिग्रस्त छत के नीचे जान हथेली पर रखकर स्वास्थ्यकर्मी मरीजों का इलाज कर रहे हैं, बावजूद कोई इसकी देखभाल करने वाला नहीं है. विभाग की ओर से अब तक कोई समुचित पहल नहीं की गई है. रिपेयरिंग के नाम पर विभाग ने अस्पताल के जर्जर भवन का रंग रोगन जरूर करा दिया जाता है लेकिन दरकती दीवारें और छत से निकली छड़ें बताने के लिए काफी है कि स्वास्थ्यकर्मी कैसे अपनी जान हथेली पर रखकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं.