चतरा: देशभर में कोरोना वायरस से बचाव और रोकथाम को लेकर प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है. कोरोना को हराने की चल रही मुहिम में लॉकडाउन हो या सोशल डिस्टेंसिंग सबका पालन कराने में जिला प्रशासन जुटा है, लेकिन कोरोना काल में चतरा के सिलाई, कढ़ाई-बुनाई से जुड़े मजदूरों की हालत दयनीय हो चुकी है.
मजदूरों का रोजगार बंद
चतरा के घोर नक्सल प्रभावित सिमरिया प्रखंड के फतहा गांव में सैकड़ों की संख्या में सलवार, पटियाला, लेगीज, हिजाब और कुर्ती बनाने का काम करने वाले मजदूर हैं, जिनमें कुछ मजदूर अन्य राज्यों में रहकर भी काम करते हैं. वहीं, 30 से 40 मजदूर गांव में ही रह कर सिलाई का काम करते हैं, लेकिन लॉकडाउन के कारण इन मजदूरों का रोजगार बंद हो चुका है. कोरोना संकट काल में जरूरतमंदों को भोजन मुहैया कराने, सेनेटाइजर और मास्क उपलब्ध कराने में पूरा प्रशासन लगा हुआ है. प्रवासी मजदूरों को क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखने का काम पिछले 3 महीनों से चल रहा है, लेकिन एक वर्ग ऐसा भी है जिस पर किसी की नजर नहीं है. छोटे-छोटे कारोबार से जुड़ी संस्था और कंपनी के बेरोजगार मजदूरों की स्थिति दयनीय हो गई है.
लाखों का रोजगार प्रभावित
वैश्विक महामारी कोरोना ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है. भारत में कोरोना वायरस पर काबू पाने की कोशिशों के बीच लगे लॉकडाउन के कारण सिलाई मजदूरों के लिए बड़ी मुसीबत साबित हो रहा है. लॉकडाउन की वजह से कपड़ा सिलाई करने वाला तबका बुरी तरह से प्रभावित हो गया है. देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से लाखों सिलाई मजदूर बेरोजगार हो गए हैं. फतहा गांव के सिलाई मजदूर गांव में ही रह कर हर महीने में लगभग 15 से 20 हजार रुपए कमा लेते थे. जिसका विदेशों से लेकर अन्य राज्यों में काफी डिमांड है. ऐसे में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन से सिलाई मजदूरों और कपड़े का कारोबार करने वालों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. हालात यह हो चुका है कि कारीगरों के सामने भुखमरी की स्थिति बनती जा रही है. चतरा के फतहा गांव के सिलाई शेड में लॉकडाउन से पहले करीब 30 से 40 मजदूर सलवार, पटियाला, लेगीज, हिजाब और कुर्ती बनाने का काम करते थे, लेकिन लॉकडाउन ने इन मजदूरों का रोजगार छीन लिया. अब यहां लगे मशीनों में सिर्फ धागा लटका हुआ है. सामान्य दिनों में यहां करीब 10 लाख रुपए प्रति महीने का कारोबार होता था, लेकिन अब यहां के मजदूरों को पेट पालना भी मुश्किल हो चुका है. अब इन्हें सरकार से मदद की आस है.
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सिलाई मजदूरों ने सरकार से मांगी मदद
मजदूरों को सिलाई का रोजगार देने वाले असरार अंसारी बताते हैं कि सरकार अगर उनकी मदद करें तो फिर से खड़ा हो सकते हैं और बाहर से आए प्रवासी मजदूरों को भी रोजगार दे पाएंगे. लाखों का कारोबार करने वाली एक छोटे से कस्बे के मजदूरों का पिछले 3 महीनों से बनाए गए लाखों का सामान अभी धूल फांक रहा है और लगभग 15 लाख का कारोबार भी प्रभावित हुआ है. बस इंतजार है तो स्थिति सामान्य होने की. ऐसे में अब सिलाई मजदूर सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं, ताकि फिर से चालू कर इस कारोबार को बढ़ा सकें. जब ईटीवी भारत की टीम ने सिलाई मजदूरों पर लॉकडाउन की मार को लेकर जिले के श्रम नियोजन पदाधिकारी प्रवीण कुमार से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि सरकार उनके लिए काम कर रही है. उन्होंने यह भी बताया कि यह हुनरमंद सिलाई मजदूरों के लिए राज्य सरकार की योजनाओं और केंद्र सरकार की ओर से दिए गए राहत पैकेज के तहत इन मजदूरों को उचित सहयोग दिया जाएगा.