चतरा: जिले में एक वृद्ध पिछले एक साल से त्रिपाल के नीचे अपनी मौत का इंतजार कर रहा है. दुर्घटना का शिकार पिछड़ी जाति का वृद्ध पैसे के अभाव में समुचित इलाज नहीं होने के कारण खटिये पर सिमट कर रह गया है. उसकी जिंदगी नासूर हो गई है कि वह अब तिल-तिलकर मरने को विवश है. उसके दर्द का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह दर्द से छुटकारा पाने के उद्देश्य से आत्मदाह तक का प्रयास कर चुका है, लेकिन कुदरत के सामने उसकी एक नहीं चली और उसका यह प्रयास भी उसके लिए अभिशाप बनकर रह गया. आलम ये है कि घर के बाहर लगे त्रिपाल में पड़े-पड़े वह न सिर्फ अपनी जिंदगी को कोस रहा है बल्कि भगवान से भी दिन-रात यही मिन्नत कर रहा है कि उसे इस कष्ट भरी जिंदगी से छुटकारा मिल जाए.
एक वर्ष पूर्व टूट गया था पैर
आत्मदाह के प्रयास के बाद वृद्ध का शरीर तो बुरी तरह से झुलस गया. ऐसे में टूटती हड्डी का दर्द और दूसरी तरफ आग की जलन ने उसे मौत से भी बुरी जिंदगी जीने को विवश कर रखा है. 60 वर्षीय जुगवा भुईयां का बायां पैर करीब एक वर्ष पूर्व काम करने के दौरान गिरने से टूट गया था. जिसके बाद आर्थिक तंगी से जूझ रहे जुगवा के बेटे ने स्थानीय स्तर पर उसका इलाज कराने का प्रयास भी किया, लेकिन पैर की स्थिति को देखते हुए स्थानीय चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार के बाद उसे बेहतर इलाज के लिए रांची के रिम्स रेफर कर दिया.