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चतरा में क्वॉरेंटाइन में रखे गए मरीज की मौत, समय पर दवा नहीं मिलने से गई जान

चतरा के राजकीय मध्य विद्यालय मधनियां में बने क्वॉरेंटाइन सेंटर में चालीस वर्षीय प्रवासी मजदूर की मौत हो गई. वह हार्ट का मरीज था जो तीन दिन पहले मुंबई से लौटा था. समय पर जरूरी दवा नहीं मिलने के कारण उसकी जान चली गई.

migrant labourer died in quarantine centre at chatra
शव

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Published : May 15, 2020, 10:23 PM IST

चतराः जिले के मयूरहंड थाना क्षेत्र के राजकीय मध्य विद्यालय मधनियां में बनाए गए प्रवासी मजदूरों के लिए क्वॉरेंटाइन सेंटर में 40 वर्षीय युवक की मौत हो गई. समय पर जरूरी दवा नहीं मिलने के कारण उसकी जान चली गई.

हार्ट का मरीज था व्यक्ति

वहां ठहरे हुए अन्य लोगों ने बताया कि सीने में तेज जलन हुई और उसके बाद इसकी जानकारी स्वास्थ्य केंद्र की एएनएम तारा देवी को दिया गया. मौके पर तारा देवी पहुंची उस समय व्यक्ति बेहोश था, लेकिन सांसें चल रही थी. परिजन हजारीबाग ले जा रहे थे, लेकिन उसने बीच रास्ते में ही दम तोड़ दिया और उसके बाद परिजन बीच रास्ते से ही अपने शव को लेकर आ रहे थे. इसी बीच इस घटना की सूचना मिलने के बाद इटखोरी मयूरहंड के चिकित्सा प्रभारी सुमित कुमार जायसवाल ढोढ़ी गांव के हजारीबाग इटखोरी मुख्य मार्ग के तेतरिया मोड़ पहुंचे और शव का थॉट्स स्कैप का नमूना लेकर जांच के लिए भेज दिया. इस बीच सुमित कुमार जायसवाल ने कहा जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है. परिजनों के मुताबिक पहले से ही यह व्यक्ति हार्ट का मरीज था.

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पैैसे के अभाव में नहीं मिल रहा था दवा

परिजनों ने इस बाबत कहा कि लॉकडाउन के बाद मुंबई में पर्याप्त दवाइयां उपलब्ध नहीं हो पा रहा था और इस बीच गांव तीन दिन पहले आया था और क्वॉरेंटाइन सेंटर में भेजा गया था. पैसे के अभाव के कारण यहां भी दवाई उपलब्ध नहीं हो पा रहा था, जिसके कारण इसकी मौत हो गई. परिजनों ने आरोप लगाते हुए कहा कि क्वॉरेंटाइन केंद्र पर चिकित्सा की कोई सुविधा नहीं रहने के कारण उसकी मौत हो गई. वहीं करमा पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि सर्जन दांगी ने प्रखंड विकास पदाधिकारी संतोष कुमार को फोन लगाया इस घटना की जानकारी दिया गया. लेकिन बीडीओ संतोष कुमार इस घटना पर भी अपनी आंखें बंद कर ली. इस हास्यास्पद घटना के पहले पंसस प्रतिनिधि नीरज प्रसाद महतो और मुखिया प्रतिनिधि सर्जन दांगी ने कहा था कि जो क्वॉरेंटाइन केंद्र में मौजूद प्रवासी मजदूर हैं. वे अपने-अपने भाड़े से गांव पहुंचे हैं और ये बिल्कुल स्वस्थ हैं. उन्हें होम क्वॉरेंटाइन में रहने दिया जाए लेकिन बीडीओ ने साफ मना कर दिया जिसका नतीजा आज सामने है. दुख की बात यह है कि इस घटना के बाद भी बीडीओ का नहीं आना कई सवालों को जन्म देता है.

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