चतराः जिले के सिमरिया प्रखंड के डाड़ी गांव निवासी मोहन महतो पिछले सात वर्षों से चारपाई पर अपनी मौत का इंतजार कर रहे हैं. दुर्घटना के शिकार मोहन पैसे के अभाव में उचित इलाज नहीं होने के कारण खटिये पर ही सिमट कर रह गए हैं. उनकी जिंदगी नासूर हो गई है कि वह अब तिल-तिलकर मरने को विवश है. उसके दर्द को समझने के लिए अब किसी फरिश्ते का इंतजार है, जो उसका इलाज करा सके.
बुरी जिंदगी जीने को विवश
मोहन का जीवन अभिशाप बनकर रह गया. आलम ये है कि घर के बाहर पड़े खटिया पर वह न सिर्फ अपनी जिंदगी को कोस रहा है, बल्कि भगवान से भी दिन-रात यही मिन्नत कर रहा है कि उसे इस कष्ट भरी जिंदगी से छुटकारा मिल जाए. ऐसे में टूटी कमर के दर्द ने उसे मौत से भी बुरी जिंदगी जीने को विवश कर रखा है.
सात वर्ष पूर्व हुआ था हादसा
करीब सात वर्ष पूर्व 45 वर्षीय मोहन महतो काम कर रहे थे. इस दौरान उनके ऊपर मशीन गिर जाने के कारण उनकी कमर टूट गई थी, जिसके बाद आर्थिक तंगी से जूझ रहे मोहन के बेटे ने स्थानीय स्तर पर उसका इलाज कराने का प्रयास भी किया, लेकिन कमर की स्थिति को देखते हुए स्थानीय चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार के बाद उसे बेहतर इलाज के लिए रांची के रिम्स रेफर कर दिया.