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कोरोना ने मर चुके जागेश्वर को किया जिंदा! 35 साल बाद लौटा घर - Family returned to Jharkhand in lockdown

कोरोना जहां कई लोगों के लिए तबाही का मंजर लेकर आया वहीं चतरा के एक मजदूर परिवार के लिए खुशियों की सौगात लाया. कोरोना ने मर चुके जागेश्वर को जिंदा कर दिया! आखिर कैसे हुआ ये सब, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

Jageshwar returned home after 35 years
35 साल बाद घर लौटा जागेश्वर

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Published : Aug 6, 2021, 10:59 PM IST

Updated : Aug 7, 2021, 5:17 PM IST

चतरा:वैश्विक महामारी कोरोना के चलते देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में जमकर तबाही हुई. लॉकडाउन में लोगों को काफी दिक्कत हुई. लेकिन, ये लॉकडाउन चतरा के एक मजदूर परिवार के लिए खुशियों की सौगात लेकर आया है. इस परिवार के साथ कुछ ऐसा हुआ जिसकी कल्पना लोगों ने नहीं की थी.

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35 साल बाद लौटा घर

दरअसल, कन्हाचट्टी प्रखंड के तुलबुल गांव का जागेश्वर पासवान 35 साल बाद अपने घर लौटा तो परिवार के साथ-साथ रिश्तेदारों और गांव वालों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. लोग जागेश्वर को देखकर भावुक हो गए. जागेश्वर 20 साल की उम्र में काम की तलाश में दिल्ली चला गया था. परिजन 5 साल तक उसके घर लौटने का इंतजार करते रहे. जब कहीं से जागेश्वर का कोई सुराग नहीं मिला तब परिजनों ने यह मान लिया कि वह मर गया होगा. परिजनों ने पुतला बनाकर उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया.

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बचपन की बात बताई तब पहचाने लोग

35 साल बाद जागेश्वर अचानक अपने घर लौटा तो परिवार वाले और ग्रामीण उसे पहचान नहीं पाए. जागेश्वर ने जब बचपन की बात लोगों को बताई तब जाकर विश्वास हुआ. उसके घर वापस आने की जानकारी मिलते ही काफी संख्या में लोग उसे देखने पहुंचे. जागेश्वर के घर लौटने के बाद परिजनों से लेकर गांव में जश्न का माहौल है. जागेश्वर के माता-पिता की मृत्यु हो चुकी है. अभी उसके गांव में चचेरे भाई हैं.

दिल्ली में की शादी, बंधुआ मजदूर बनकर किया काम

जागेश्वर ने रिश्तेदारों और ग्रामीणों को बताया कि उसने दिल्ली में ही शादी कर ली थी. पत्नी रानी देवी के अलावा बेटे रवि पासवान और बेटी राधा कुमारी साथ आए हैं. जागेश्वर ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि जब घर से बाहर निकला था तो बाहरी दुनिया से अनजान था. दिल्ली में जाकर गुम हो गया था. कुछ दिनों बाद दिल्ली में ही ईंट-भट्ठे में काम करने लगा. 5 वर्षों तक ईंट-भट्ठा संचालक बंधुआ मजदूर बनाकर काम कराता रहा. इस दौरान वहां एक लड़की से शादी कर ली. कुछ दिनों बाद ईंट-भट्ठा बंद हो गया. तब दिल्ली स्थित पंजाबी ढाबा में पत्नी के साथ काम करने लगा. ढाबा मालिक भी उसे बंधुआ मजदूर बनाकर काम कराता था. कभी बाहर नहीं निकलने देता था. जब कोरोना के कारण लॉकडाउन लगा, तो किसी तरह वहां से पूरे परिवार के साथ बाहर निकला और घर जाने का मन बनाया. कुछ लोगों के प्रयास से वह अपने गांव लौटा.

अब जागेश्वर को अपने गांव में ही रहने के लिए आशियाना खोजना पड़ रहा है. जागेश्वर को चिंता है कि उसके पूरे परिवार के पास न तो आधार कार्ड है और न ही राशन कार्ड है. जागेश्वर ने सरकार से सुविधा की गुहार लगाई है.

Last Updated : Aug 7, 2021, 5:17 PM IST

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