चतरा: 2014 में केंद्र में बीजेपी सरकार बनने के बाद मोदी सरकार ने 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' टैगलाइन दिया था. बेटियों को आगे बढ़ाने और सुरक्षित रखने के लिए इस अभियान को सरकार की नई शुरुआत मानी जाती है, लेकिन चतरा से कई ऐसी घटना सामने आई है, जिसने इस सिस्टम को बेनकाब कर दिया है.
सरकार चलाने वाले सिस्टम में है खराबी
यह प्रश्न किसी सरकार पर नहीं, बल्कि सरकार चलाने वाले सिस्टम पर है, जिसकी कार्यप्रणाली उन पर ही कई सवाल खड़े करती है. सरकार की ओर से दावे तो बड़े-बड़े किए जाते हैं, लेकिन दावों पर कितना अमल किया जाता है, यह किसी से छिपा नहीं है. हर घटना के बाद सरकार और पुलिस प्रशासन यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं कि वह आरोपियों को जल्द सजा देंगे और महिलाओं को न्याय दिलाएंगे, लेकिन यह बात कहने तक ही सीमित रह जाती है.
बेटी जन्म लेने पर महिला को घर से निकाला
चतरा में आज भी बेटी की पैदाइश को किसी अपराध से कम नहीं माना जाता है. जिले के सिमरिया थाना क्षेत्र में एक पति की हैवानियत सामने आई है, जहां उसने बेटी पैदा करने के जुर्म में पहले तो अपनी पत्नी को बेरहमी से पीटा, इसके बाद घर से बेदखल कर दिया. मनमाफिक दहेज नहीं मिलने और शादी के बाद बेटी के जन्म से बौखलाये पति सरफराज खान ने अपनी पत्नी को घर से बेदखल कर दिया. इसके बाद उसने दूसरी शादी कर ली और पहली पत्नी शबनम को ससुराल वापस आने के लिए तीन लाख का जुर्माना लगा दिया.