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चतरा में बालू माफियाओं के हौसले बुलंद, धड़ल्ले से हो रहा अवैध खनन - Illegal sand business in Chatra

चतरा में अवैध बालू का उठाव जोरों पर किया जा रहा है. इस पर प्रशासन की नजर नहीं पड़ रही है. अवैध बालू कारोबारियों के हौसले बुलंदी पर हैं.

Illegal sand business in Chatra
अवैध बालू उठाव

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Published : Sep 23, 2020, 8:33 PM IST

चतरा: जिले में बालू खनन का अवैध कारोबार खुलेआम फल फूल रहा है. इससे राज्य सरकार को भले ही लाखों के राजस्व का चूना लग रहा हो लेकिन प्रशासन की नजर इस पर नहीं पड़ रही है. अवैध बालू कारोबारियों के हौसले बुलंदी पर हैं. यहां सुबह होते ही नदी से बालू उठाव शुरू हो जाता है.

इटखोरी प्रखंड के मुहाने नदी और पितीज के बसाने नदी से इन दिनों अवैध बालू का उठाव जोरों पर किया जा रहा है. इससे मुहाने नदी के साथ-साथ मां भद्रकाली मंदिर का भी अस्तित्व खतरे में है. मंदिर के पीछे से गुजरी यू आकार की मुहाने नदी पर बालू माफियाओं की नजर लग गई है.

सबसे बड़ी बात यह है कि मुहाने पुल के पिलर के नीचे से भी जोरों पर बालू का उठाव किया जा रहा है, जिससे पुल कभी भी बरसात के बाढ़ में क्षतिग्रस्त हो सकता है. कई ट्रैक्टरों का परिचालन मुहाने नदी पर बालू उत्खनन के लिए होता रहा है. इससे सरकार को लाखों के राजस्व की क्षति हो रही है. वहीं, नदियों का अस्तित्व भी समाप्त हो रहा है. जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है.

कार्रवाई करने का निर्देश

जिला खनन टास्क फोर्स की बैठक में उपायुक्त ने अवैध बालू की ढुलाई और अवैध बालू भंडारण से संबंधित प्राप्त होने वाली शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई को लेकर जिला खनन पदाधिकारी समेत अनुमंडल पदाधिकारी चतरा, सिमरिया, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी और संबंधित थाना प्रभारी को ससमय बैठक कर उन मामलों से जुड़ी शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. वहीं, पुलिस अधीक्षक ने सभी संबंधित अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी और थाना प्रभारी को पैनी नजर बनाए रखते हुए उन मामलों में त्वरित कार्रवाई का निर्देश दिया है.

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मुहाने नदी से बालू कारोबारियों को बालू खनन कराने में प्रशासन और पुलिस का तनिक भी भय नहीं है. नदी की बालू कारोबारियों का काली कमाई का जरिया बन चुका है. इनके नेटवर्क और रसूख के आगे प्रशासन भी बौना साबित हो रहा है. प्रशासन की छापेमारी से पहले ही बालू माफियाओं की सटीक जानकारी मिल जाती है. जब अधिकारी मौके पर पहुंचते हैं इससे पहले ही कारोबारी फरार हो जाते हैं. इसे प्रमाणित होता है कि बालू माफियाओं की इन अधिकारियों से सांठगांठ कितनी मजबूत है.

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