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चतरा: मिलीभगत से हो रही अवैध कटाई, कटते जंगल पर वन विभाग बेपरवाह - Illegal harvesting of forest

चतरा के सिमरिया वन क्षेत्र में इन दिनों पेड़ों की कटाई घड़ल्ले से हो रही है. जिला प्रशासन और वन विभाग के लापरवाही के कारण वन माफिया बेपरवाह पेड़ों की कटाई कर रहे हैं. एक ओर शासन-प्रशासन 'पेड़ लगाओ, पर्यावरण बचाओ' का नारा बुलंद कर रहा है. वहीं दूसरी ओर इसकी रक्षा की लिए तैनात वनकर्मियों के देख-रेख में पेड़ों को काटा जा रहा है.

Illegal cutting of forests in collusion in Chatra
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Published : Dec 30, 2019, 3:30 AM IST

चतरा:जिले के सिमरिया क्षेत्र के जंगलों में प्रतिबंधित पेड़ों की कटाई धड़ल्ले से की जा रही है. जिला प्रशासन और वन विभाग के लापरवाही के कारण खुलेआम जंगलों में लगे पेड़ों को काटा जा रहा है और जंगल खत्म होते जा रही है.

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एक ओर जहां सरकार जंगल बचाने की दुहाई दे रही है वहीं, दूसरी ओर जंगल उजाड़ने में लोग कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. जिला प्रशासन और वन विभाग के उदासीन रवैया के कारण जंगल की अवैध कटाई पर कोई अंकुश नहीं लग पा रहा है. चतरा जिले के सिमरिया प्रखंड में बड़े पैमाने पर पेड़ों की अवैध कटाई हाल के दिनों में हुई है. यह सिलसिला अभी भी जारी है. इसका कारण अधिकारी और वनकर्मियों की लापरवाही है. यही वजह है कि पेड़ काटकर धड़ल्ले से इसे दूसरे राज्यों में भेजा जा रहा है और माफिया अवैध कारोबार करके ऊचें दाम कमा रहे हैं.

ईटीवी भारत की टीम ने की ग्राउंड रिपोर्टिंग

सिमरिया के कई ऐसे जंगल हैं, जहां बेरोक-टोक के अवैध कटाई को अंजाम दिया जाता है. लेकिन इसका संज्ञान लेने वाला कोई नहीं है. ईटीवी भारत को जब इसकी सूचना मिली तो वह जंगल के क्षेत्र में पहुंची और ग्राउंड रिपोर्टिंग की. ईटीवी भारत के टीम ने देखा कि सिमरिया के वन क्षेत्रों में अत्यधिक मात्रा में पेड़ों की कटाई की गई है. चारों और कटे पेड़ों के ठूंठ और विशाल पेड़ों की लकड़ियां पड़ी हुई थी.

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मिलीभगत से हो रही है वनों की कटाई

पेड़ों की अवैध कटाई के संबंध में सिमरिया वन पदाधिकारी से बात करने पर वो स्पष्ट रूप से कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हुए. वहीं इस पर स्थानीय लोगों को कहना है कि वनकर्मचारियों की मिलीभगत से वन माफिया जंगल तक पहुंच रहे हैं और गांव के मजदूरों के सहारे जंगलों में अवैध कटाई को अंजाम दे रहे हैं. वन क्षेत्र के व्यस्ततम आवाजाही वाले क्षेत्रों में वन माफिया खुलेआम हरे पेड़ों पर कुल्हाड़ी चला रहे हैं. वे वनों को नुकसान पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे. एक ओर शासन-प्रशासन पेड़ लगाओ, पर्यावरण बचाओ का नारा बुलंद कर रहा है. वहीं दूसरी ओर इसकी रक्षा की लिए तैनात वनकर्मियों के देख-रेख में पेड़ों को काटा जा रहा है.

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