चतरा: कहते हैं कि प्रकृति ने बड़े ही फुरसत के क्षण में तराश कर अगर किसी को एक अनोखा उपहार प्रदान किया है तो उसका नाम है 'तमासिन जलप्रपात' जो झारखंड के चतरा में वनों से आच्छादित जंगलों के बीच छिपा एक अद्भुत नजारा है. झारखंड का चतरा जिला प्राकृतिक सौंदर्य के खजानों से भरपूर है और पूरे प्रदेश में विख्यात भी है. इसकी ख्याति से भी लोग अपरिचित नहीं हैं.
चतरा जिले में प्रकृति की गोद में समाया तमासिन जल-प्रपात रमणीय स्थलों में से एक खास और अलग पहचान रखता है जिसकी प्राकृतिक छटा यहां सतरंगी फिजा बिखेर कर सभी का मन मोह लेती है. पथरीली चट्टानों के विहंगम दृश्यों के बीच और दो सुरम्य घाटियों, पहाड़ों के मध्य कल-कल बहता यह जल-प्रपात प्राचीन काल से देशी-विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर बरबस ही खिंचता चला आ रहा है.
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बड़ी संख्या में जुट रहे सैलानी
वहीं, नए साल के आगमन पर इस स्थली पर बड़ी संख्या में सैलानी पिकनिक का लुप्त उठाने पहुंच रहे हैं. जिला मुख्यालय से तकरीबन चालीस किलोमीटर दूर कान्हाचट्टी प्रखंड के तुलबुल पंचायत में अवस्थित तमासीन जल-प्रपात से बहती जल धारा का सौंदर्य काफी मनमोहक है. सैकड़ों फीट की ऊंचाइयों से गिरती जल धारा ऐसी प्रतीत होती है, जैसे दूध की धारा रूपी नदी प्रवाहित हो रही हो. दो घाटियों के बीच सफेद पत्थरों का अनोखा रूप सफेद गोमेद की तरह रौशनी बिखेरता पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है.
तमासिन जलप्रपात का धार्मिक महत्व
इस रमणीक स्थल का धार्मिक महत्व भी है. कहा जाता है कि यह स्थान ऋषि मातंग का आश्रम रहा है. यहां दोनों घाटियों के बीच एक गुफा भी है, जिसमें तमो गुण की अधिष्ठात्री तामसी देवी का मंदिर है. इसकी पूजा-अर्चना को लेकर भी लोग दूर-दराज और अन्य प्रदेशों से यहां आते हैं. लोगों की ऐसी भी मान्यता है कि दुर्गा सप्तसती कथा में मां कौलेश्वरी और भद्रकाली के साथ-साथ तमासिन का भी वर्णन है.
चारो तरफ जंगल और पहाड़ों से घिरे इस सुंदर प्राकृतिक स्थल पर आकर इंसान मंत्रमुग्ध हो जाता है. स्थानीय लोगों और सैलानियों के अलावा गणमान्य जनों का भी मानना है कि यह जल-प्रपात झारखंड के तमाम अन्य पर्यटन स्थलों से बिल्कुल अलग और अद्वितीय है. इसके साथ ही इस स्थली की एक धार्मिक मान्यता भी है जो लोगों को बरबस अपनी ओर खींचता चला जाता है.
यह स्थल जहां चतरा जिले के एक मुख्य पिकनिक स्पॉट में सुमार है. वहीं, यह लोगों के आस्था का भी केंद्र रहा है. इतिहासकार डॉक्टर इफ्तेखार आलम इसकी तुलना रांची के जोन्हा और दशम फॉल से करते हुए कहते हैं कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार को यहां राजगीर की तर्ज पर रोप-वे कनेक्टिविटी की दिशा में कारगर पहल करने की आवश्यकता है ताकि यह जलप्रपात पर्यटन के साथ-साथ वैश्विक दृष्टिकोण से विकसित हो सके.