झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / state

Forest Department In Chatra: चतरा में ट्रांसपोर्टिंग कंपनी पर वन विभाग की मेहरबानी, जंगल को उजाड़ कर बना दी सड़क

झारखंड में लूट-खसोट का अजब-गजब खेल चलता रहता है. लोग तरह-तरह के हथकंडे अपना कर झारखंड की सुंदरता को तबाह करने में जुटे हैं. चतरा में वन विभाग कुछ ऐसा ही कर रहा है. यहां विभाग एक कोल ट्रांसपोर्टिंग कंपनी पर इस कदर मेहरबान है कि उसने कंपनी के लिए जंगल को साफ कर सड़क बना दी.

Forest Department In Chatra
चतरा में ट्रांसपोर्टिंग कंपनी

By

Published : Dec 26, 2021, 1:11 PM IST

चतरा: एक ओर जहां एनएच 99 को विभाग की ओर से एनओसी नहीं मिलने के कारण निर्माण कार्य पिछले 4 वर्षों से अधूरा पड़ा है. जिसकी वजह से रोजाना सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं. जिसमें कई लोग मौत के गाल में समाते जा रहे हैं तो कई लोग अस्पताल में मौत से जंग लड़ रहे हैं. वहीं दूसरी ओर चतरा के टंडवा में संचालित आम्रपाली कोल परियोजना से शिवपुर रेलवे साइडिंग तक कोयले की ढुलाई के लिए आरकेटीसी ट्रांसपोर्टिंग कंपनी द्वारा वन भूमि का अतिक्रमण कर सड़क बनाए जाने का मामला चर्चा का विषय बना हुआ है.

ये भी पढ़ेंः चतरा के परियोजना बालिका उच्च विद्यालय इटखोरी में जाते ही बच्चे हो जाते हैं शर्मिंदा, जानिए क्यों

एक ओर पब्लिक सड़क को एनओसी नहीं दिया जाना और दूसरी ओर कोल ट्रांसपोर्टिंग के लिए बनाए गए सड़क पर वन विभाग की चुप्पी से कई सवाल खड़े हो रहे हैं. वहीं इस मामले को लेकर एक आरटीआई कार्यकर्ता मंटू कुमार के द्वारा वन विभाग से स्पष्टीकरण मांगे जाने पर वन विभाग ने अपने जवाब में आरकेटीसी बीएलए कंपनी के द्वारा बगैर एनओसी के वन भूमि पर अतिक्रमण कर ट्रांसपोर्टिंग सड़क बनाए जाने की बात स्वीकार की है.

देखें पूरी खबर
हैरानी की बात तो यह है कि सबकुछ जान कर भी चतरा वन विभाग के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है. बल्कि मीडिया के दबाव के कारण कई बार वन विभाग के द्वारा सड़क को काटकर अतिक्रमण मुक्त कराने को ढोंग तो किया गया, लेकिन लाखों रुपये के चढ़ावे के आगे वन विभाग ने चुप्पी साध ली है. वहीं जब इस मामले को लेकर जिला वन अधिकारी सुरेंद्र कुमार सुमन से पूछा गया तो उन्होंने कैमरे के सामने जवाब देने से साफ मना कर दिया. हालांकि डीसी अंजली यादव ने कार्रवाई करने का भरोसा दिया है. लेकिन सवाल यह उठता है कि अधिकारी सबकुछ जान कर भी अंजान क्यों बने बैठे हैं. वहीं इस पूरे मामले को लेकर झारखंड उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई है. मामले में दायर की गई (पीआईएल) वाद संख्या 4580 वर्ष (2021) में झारखंड राज्य सरकार, मुख्य सचिव, प्रधान सचिव वन एवं पर्यावरण विभाग, मुख्य वन संरक्षक, सचिव झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, उपायुक्त एवं पुलिस अधीक्षक चतरा, डीएफओ दक्षिण वन प्रमंडल चतरा, निदेशक कोयला मंत्रालय भारत सरकार, निदेशक सचिव पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, सचिव केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भारत सरकार, आम्रपाली- चंद्रगुप्त कोल परियोजना महाप्रबंधक एवं परियोजना पदाधिकारी टंडवा, आरकेटीसी बीएलए जेवी प्रबंध निदेशक सहित 17 को वादी बनाया गया है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details