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बंजर जमीन पर चला जज्बे का हल, मल्चिंग पद्धति से किसानों ने बदली तकदीर - चतरा में मल्चिंग तकनीक से खेती कर रहे किसान

चतरा के किसान मच्लिंग तकनीक से अपनी तकदीर बदल रहे हैं. कई किसान दूसरे राज्यों में मजदूरी करते थे और जब लॉकडाउन में घर लौटे तो यहां कोई रोजगार नहीं मिला. इसके बाद बंजर जमीन पर मेहनत की और मच्लिंग तकनीक से खेती शुरू की. इसका उन्हें बहुत लाभ मिला. दूसरे किसान भी अब इस पद्धति को अपना रहे हैं.

mulching technique
मल्चिंग पद्धति

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Published : Sep 4, 2021, 2:26 PM IST

Updated : Sep 4, 2021, 5:47 PM IST

चतरा:कहते हैं न कि इरादे अगर बुलंद हो तो कुछ भी असंभव नहीं है. ऐसे ही बुलंद हौसले से चतरा के किसानों ने कमाल कर दिखाया है. बंजर जमीन पर जज्बे का हल चला और किसानों ने खुद अपने हाथों से तकदीर बदली. किसानों की कड़ी मेहनत की बदौलत बंजर जमीन पर भी फसल लहलहा रही है. किसानों के इस हौसले को कृषि विज्ञान केंद्र ने उड़ान दी है.

दरअसल, जब देश में लॉकडाउन लगा तब मजदूर वापस अपने गांव लौटने लगे. चतरा में भी मजदूर अपने गांव पहुंचे लेकिन उनके सामने बड़ी समस्या रोजगार की थी. रोजगार का कोई साधन नहीं मिला तब किसानों ने अपनी सोच बदली और ड्रिप इरीगेशन और मल्चिंग पद्धति से खेती कर अपनी तकदीर बदल डाली.

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नई तकनीक से की खेती

चतरा जिले के कान्हा चट्टी प्रखंड के सवैयागड़ा गांव के किसानों की तारीफ पूरे जिले में हो रही है. नई तकनीक और नई सोच के साथ खेती करके किसानों ने मिसाल पेश की है. जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर कान्हा चट्टी प्रखंड के सवैयागड़ा गांव के किसानों ने पारंपरिक खेती को त्याग कर नई तकनीक के साथ खेती करना शुरू किया. सबसे पहले खेतों को चारों तरफ से घेरा ताकि नीलगाय और अन्य जानवरों से फसल को बचा सकें. कृषि विज्ञान केंद्र की सहयोग से प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के तहत ड्रिप पद्धति से फसलों की सिंचाई करना शुरू किया और पारंपरिक कीटनाशक के साथ-साथ नई पद्धति से खेती शुरू की.

किसानों को मल्चिंग पद्धति से काफी लाभ हुआ है.

आसपास के किसान भी हुए प्रभावित

किसानों के खेतों में खीरा, गोभी, मिर्च, बिन्स, टमाटर सहित अन्य फसल लहलहा रहे हैं. किसान विनोद महतो का कहना है कि मल्चिंग खेती, ड्रिप सिंचाई और समुचित देखभाल के साथ-साथ कड़ी मेहनत के चलते फसलों की अच्छी कीमत मिलती है. नए तकनीक से आसपास के किसान भी प्रभावित हुए हैं. दूसरे किसान भी मल्चिंग खेती कर मुनाफा कमा रहे हैं. किसान बताते हैं कि मल्चिंग खेती से खरपतवार कम होता है और बारिश होने पर भी फसल को नुकसान न के बराबर होता है. इसके अलावा फसल की क्वालिटी भी काफी अच्छी होती है और इसकी अच्छी कीमत मिलती है.

मल्चिंग पद्धति से खेती में खरपतवार भी कम निकलता है.

किसानों को मिला कृषि सिंचाई योजना का लाभ

किसानों ने कृषि विज्ञान केंद्र से प्रशिक्षण लिया और रांची के ओरमांझी में जाकर खेती की तकनीक देखी थी. उसी से प्रभावित होकर किसानों ने अपने गांव में इसी पद्धति से खेती शुरू की. किसान बताते हैं कि पारंपरिक खेती से दोगुनी आय मल्चिंग खेती से होती है. कृषि विभाग के जिला कृषि पदाधिकारी अशोक सम्राट का कहना है कि खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत लाभ दिया गया. किसान भी कहते हैं कि कृषि विभाग के अधिकारी खेतों पर आकर हमें सुझाव देते हैं जिसका पालन करने से उपज काफी अच्छी होती हैं. चतरा जिला के किसानों के लिए यह एक नई सोच और अच्छी पहल है और इसकी वजह से लोग बड़े शहरों में मजदूरी करने से बेहतर अपने गांव में आकर खेती करना बेहतर समझ रहे हैं.

किसानों ने बंजर जमीन पर खूब मेहनत की और आज खेतों में फसल लहलहा रहे हैं.

क्या है ड्रिप इरीगेशन पद्धति?

ड्रिप इरीगेशन सिंचाई की एक विशेष विधि है जिसमें पानी और खाद की बचत होती है. इस विधि में पानी को पौधों की जड़ों पर बूंद-बूंद करके टपकाया जाता है. इसमें पौधों को उनकी जरूरत अनुसार पानी मिलता है. केवल जड़ों को ही पानी देने से खरपतवार पर नियंत्रण रहता है.

क्या है मल्चिंग पद्धति?

मल्चिंग खेती की एक पद्धति है जिसमें प्लास्टिक की फिल्म के साथ-साथ घास और भूसे का भी उपयोग किया जाता है. इस विधि में जमीन को पहले क्यारी बनाकर पूरी तरह से ढंक दिया जाता है. इसके बाद पौधा रोपा जाता है. इस तकनीक का इस्तेमाल खेत में पानी की नमी को बनाए रखने और वाष्पीकरण रोकने के लिए किया जाता है. ये तकनीक खेत में मिट्टी का कटाव भी रोकती है और खेत से खरपतवार कम निकलता है. बागवानी में होने वाले पौधों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने में ये पद्धति बहुत सहायक होती है.

Last Updated : Sep 4, 2021, 5:47 PM IST

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