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स्वरोजगार से आत्मनिर्भर बन रहे युवा किसान, दूसरों को भी दे रहे रोजगार

झारखंड के अति नक्सल प्रभावित और विकास के दृष्टिकोण से पिछड़े चतरा जिले के युवा व्यवसाई सुनील प्रसाद रोजगार की तलाश में इधर-उधर भटकने की बजाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान के दिखाये रास्ते पर चलते हुए स्वरोजगार के माध्यम से न सिर्फ खुद आर्थिक आत्मनिर्भरता हासिल की, बल्कि क्षेत्र में रहने वाले दर्जनों युवाओं को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी प्रदान कर रहे हैं. युवा व्यवसायी ने अपनी मेहनत के बदौलत अल्पकाल में ही मुर्गी पालन और अंडा उत्पादन के माध्यम से ऐसी सफलता हासिल की कि वे इलाके के अन्य किसानों और युवाओं के लिए प्रेरक बन गये हैं.

employment by Poultry farming in Chatra
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Published : Nov 21, 2020, 8:52 AM IST

Updated : Nov 22, 2020, 5:40 AM IST

चतरा: जिले के एक छोटे से गांव लमटा के रहने वाले युवा व्यवसायी हैं सुनील प्रसाद. विषम परिस्थितियों में भी एक छोटे से गांव में मुर्गी पालन और अंडा उत्पादन के व्यवसाय से कुछ ही महीनों में अपनी कड़ी मेहनत के बदौलत इलाके में एक ऐसी पहचान बनायी कि ताजा अंडा लेने के लिए इलाके के दुकानदारों से इन्हें एडवांस बुकिंग मिलने लगी. आधुनिक साज-सज्जा से परिपूर्ण मुर्गी फार्म में करीब सात हजार मुर्गियों की मदद से प्रतिदिन 30 से 35 पेटी अंडे को पैक कर ये स्थानीय बाजार में उपलब्ध कराते हैं.

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पर्यावरण का भी रखते हैं ध्यान

दूसरी ओर इन्होंने खासकर अपने मुर्गी फार्म में साफ सफाई का भी विशेष ख्याल करते हुए कई तरह के इंतजाम भी किए हुए हैं ताकि मुर्गियों के साथ-साथ आसपास के क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों को किसी तरह की परेशानी ना हो और वातावरण साफ सुथरा बना रहे. सुनील बताते हैं कि मुर्गी पालन में टीकाकरण का काफी महत्व होता है. फार्म हाउस में चूजे आने के साथ ही चार महीने के अंदर 16 से 17 तरह के टीके लगाने पड़ते है, ताकि भविष्य में इन्हें वायरल वायरस, विभिन्न प्रकार के इन्फेंक्शन, बीमारियों से बचाया जा सके और इनकी उम्र भी बढ़ायी जा सके.

मुर्गियों को दाना देते किसान

टीकाकरण है महत्वपूर्ण

सुनील प्रासद कहते हैं कि अंडा उत्पादन और मुर्गी पालन में प्रारंभ के चार महीने में सबसे अधिक खर्च इनके लिए चारा की व्यवस्था करने और दवा का इंतजाम करने में होता है. इससे निपटने के लिए इन्होंने खुद ही मुर्गियों के लिए चारा बनाने का भी सारा इंतजाम कर रखा है. बताया कि सभी मुर्गियों को पीने के पानी की भी आवश्यकता का पूरा ख्याल रखा गया है जिसकी भरपाई पाइप लाइन की नवीन तकनीक के जरिए की गई है.

पॉल्ट्री फॉर्म में मुर्गियां

आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा

इनका यह भी मानना है कि स्वरोजगार से स्वालंबन तथा दूसरों को भी रोजगार से जोड़ने की दिशा में यह व्यवसाय काफी कारगर सिद्ध हो सकती है, बशर्ते बैंक अथवा सरकार भी इस दिशा में पूरी तरह से ध्यान दे. सुनील बताते हैं कि इन विकट परिस्थितियों में भी बिना सरकारी मदद के अपना मनोबल बनाए रखा. बैंक से कुछ राशि मिली भी तो बैंक ने सब्सिडी के पैसे रोक दिए. आत्मनिर्भर भारत सशक्त भारत कार्यक्रम में सहभागी बने युवा व्यवसायी के इस छोटे से प्रयास से क्षेत्र में रहने वाले कई युवाओं को भी आज प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल रहा है. वहीं, उनसे प्रेरणा लेकर कई युवा तथा किसान भी स्वरोजगार हासिल करने के लिए आगे बढ़ने की बात कर रहे हैं.

पॉल्ट्री फॉर्म में मुर्गियां

स्वरोगार से रोजगार

दरअसल, लॉकडाउन के कारण बाहर के प्रदेशों में काम कर रहे युवाओं को मजबूरन घर वापस लौटना पड़ा, लेकिन अब घर में ही रोजगार की व्यवस्था हो जाने से ये लोग काफी खुश हैं और अपने परिवारजनों का अच्छी तरह से लालन-पालन कर पा रहे हैं. अब ये कमाने के लिए बाहर नहीं जाना चाहते हैं. कोरोना संक्रमणकाल में जब देश-दुनिया में रोजगार को लेकर संकट की स्थिति उत्पन्न हुई, इस संकट की घड़ी में भी ये 15 युवाओं को फार्म में और मार्केटिंग के लिए 50 लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करा रहे हैं. जो आत्मनिर्भर भारत बनने का संदेश दे रहा है.

Last Updated : Nov 22, 2020, 5:40 AM IST

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