चतरा: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर कहते हैं कि युवाओं को नौकरी मांगने वाला नहीं बल्कि नौकरी देने वाला बनना चाहिए. कुछ इसी सोच के साथ चतरा के विजय सिंह ने आम का बागीचा लगाया है. विजय खुद एक माइनिंग इंजीनियर हैं. इनके एक भाई जापान के मल्टीनेशनल कंपनी में सीईओ हैं, जबकि दूसरे भाई दिल्ली में चार्टर अकाउंटेंट हैं. लेकिन इन्होंने ठान लिया कि ये सिर्फ एक नौकरी में बंध कर नहीं रहेंगे. इसी का परिणाम है कि आज विजय अपने बागीचे में आम का फसल लगाकर न सिर्फ खुद आत्मनिर्भर बन रहे हैं, बल्कि उन युवाओं को प्रेरणा देने का प्रयास भी कर रहे हैं जो युवा बेरोजगारी का रोना रोते हैं.
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जब दिल में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कठिन राह भी आसान हो जाता है, इसे सच साबित कर दिखाया है टंडवा के सराढू गांव के किसान विजय कुमार सिंह ने. विजय सिंह अपनी मेहनत और लगन के बदौलत अपने बगीचे में लगे आम को बेचकर लाखों रुपए सालाना कमाते हैं. विजय ने 2011-12 में अपनी खाली पड़ी 7 एकड़ जमीन पर करीब 400 पेड़ लगाए. 4 सालों की कड़ी मेहनत के बाद पेड़ों पर फल लगने शुरू हो गए. इनके बाग में हर तरह के आम हैं चाहे वह मालदा हो, आम्रपाली हो या फिर दशहरी. विजय ने जब शुरुआत की तो उनकी कमाई सिर्फ एक से डेढ़ लाख रूपये ही थी, लेकिन अब उन्हीं पेड़ों से इनकी कमाई 5 से 6 लाख रूपए हो रही है, जिसे ये और ज्यादा बढ़ा रहे हैं. यहां बाजार में जो आम 50 से 60 रुपए प्रति किलो मिलते हैं वह सिर्फ 30 रुपए प्रति किलो में बेचते हैं. इससे आस पास के लोग भी काफी खुश रहते हैं.
अपने इस आम के बागान में विजय ने करीब पांच से छह लोगों को नौकरी पर रखा है. ये लोग पूरे साल पेड़ों की देखभाल करते हैं और उसमे खाद पानी डालते हैं. इस बागवानी से न सिर्फ विजय का घर परिवार सुख शांति और खुशहाली में है बल्कि उनके बागीचे में काम कर रहे अन्य लोगों का परिवार भी खुशहाल है. आज विजय ना सिर्फ अपने बागीचे से लाखों रुपए की आमदनी कर रहे हैं, बल्कि ये कई दूसरे लोगों को नौकरी भी दे रहे हैं. इनके चर्चा इस पूरे इलाके में है. अपनी कड़ी मेहनत और लगन के कारण ये युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन चुके हैं. ये उन युवाओं के लिए भी एक उदाहण है जो नौकरी छोड़ कर कुछ अलग तरह का काम करना चाहते हैं.