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बिन ईंधन दौड़ी इलेक्ट्रिक साइकिल, चतरा के पीयूष कुमार का शाहकार

प्रतिभा उम्र और मुफलिसी की मोहताज नहीं होती. अगर हुनर है तो वो किसी ना किसी रूप में निखार जरूर आता है. जरूरत है थोड़ी-सी कोशिश करने की. ऐसा ही उदाहरण पेश किया है चतरा के एक छात्र पीयूष कुमार ने. जिसने आर्थिक तंगी के बावजूद हुनर से बिना ईंधन सरपट दौड़ने वाली इलेक्ट्रिक साइकिल (Electric Bicycle) बना दी.

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इलेक्ट्रिक साइकिल के साथ पीयूष कुमार

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Published : Aug 2, 2021, 6:03 PM IST

Updated : Aug 2, 2021, 9:27 PM IST

चतरा: प्रतिभा किसी परिचय का मोहताज नहीं होता है. इस चर्चित कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है चतरा जिला के गिद्धौर के छात्र पीयूष कुमार ने. जिसने संसाधनों की कमी और आर्थिक तंगी के बावजूद अपने हुनर से बैटरी संचालित ऑटोमेटिक साइकिल (Battery Operated Automatic Bicycle) बनाई. उसके इस आविष्कार से परिवार के साथ-साथ पूरे जिला का नाम रोशन हुआ है.

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पीयूष कुमार 12वीं में पढ़ता है और काफी गरीब परिवार से आता है. उसके परिवार की माली हालत ठीक नहीं रहने के कारण पीयूष अपने माता-पिता के घर के बजाय गिद्धौर प्रखंड मुख्यालय स्थित अपने नाना युवराज महतो के घर पर रहकर पढ़ाई कर रहा है. पीयूष ने पिछले कई दिनों से पेट्रोल-डीजल की कीमत हो रही वृद्धि को देखते हुए 12-12 वोल्ट का दो बैटरी और केयर मोटर लगाकर सेंसरयुक्त साइकिल का आविष्कार किया.

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सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि बिना की गाइडेंस के और बिना किसी की मदद लिए उसने इस इलेक्ट्रिक साइकिल (Electric Bicycle) को बनाया है. आज इस साइकिल की चर्चा पूरे जिले में हो रही है. लोगों की खूब वाहवाही कर रहे हैं. आज दूर-दराज से लोग पीयूष कुमार की इस अनोखी साइकिल को देखने के लिए आ रहे हैं, उनके इलाके और घर में ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी है.

इलेक्ट्रिक साइकिल की सवारी करता छात्र पीयूष कुमार

पीयूष की इस प्रयास की लोग काफी तारीफ कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि वर्तमान समय में जिस तरह से डीजल और पेट्रोल की कीमतें बढ़ रही है, ऐसे में पीयूष का यह प्रयास रंग लाया है. कम खर्च पर लोग अब अधिक दूरी तय कर सकेंगे. आसपास के लोग बताते हैं कि ऐसे गरीब लोग, जो बाइक नहीं खरीद सकते हैं, वो इस इलेक्ट्रिक साइकिल को खरीदकर बाइक का आनंद उठा सकेंगे.

पीयूष ने ईटीवी भारत (Etv Bharat) से बात करते हुए कहा कि एक बार बैटरी चार्ज होने पर 25 से 30 किलोमीटर का सफर तय किया जा सकता है. साइकिल बनाने में उसे महज दस हजार रुपये खर्च आया है. खर्च का पैसा उसके मामा सरोज कुमार ने वहन किया. उसने बताया कि साइकिल की स्पीड 30 से 32 किलोमीटर प्रति घंटा है, जिसमें एक सेंसर भी लगा हुआ है. इस मोटरसाइकिल रूपी साइकिल को कोई चोरी भी नहीं कर सकता है. क्योंकि किसी और के छूते ही सेंसर हल्ला मचाना शुरू कर देता है.

इलेक्ट्रिक साइकिल में लगे पार्ट्स

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इससे पहले भी पीयूष लगातार कुछ ना कुछ बनाता रहा है. उसके इस वैज्ञानिक प्रयासों की सराहना भी हुई, पीयूष को इसके लिए कई सम्मान और कई मेडल्स भी मिल चुके हैं. पीयूष कुमार की प्रारंभिक पढ़ाई गिद्धौर से ही हुई है, जबकि मैट्रिक की पढ़ाई इंदुमती टिबड़ेवाल सरस्वती विद्या मंदिर चतरा से हुई है.

इलेक्ट्रिक साइकिल में लगा है सेंसर
मैट्रिक की परीक्षा में पीयूष चतरा जिला में दूसरे स्थान पर रहा. वह स्कूल में आयोजित होने वाली विज्ञान प्रदर्शनी में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता था. यहीं से उसे कुछ हटकर करने की प्रेरणा मिली. वह 2017 से ही मोटर चालित साइकिल बनाने का प्रयास शुरू किया. शुरुआती दौर में मोटर बैटरी से एक किलोमीटर तक साइकिल चलाया, जबकि दूसरे प्रयास में उसे बड़ी सफलता मिली है. इस सफलता से पीयूष भी काफी उत्साहित हैं.
Last Updated : Aug 2, 2021, 9:27 PM IST

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