चतरा: राज्य सरकार भले ही हर घर 24 घंटे बिजली देने की घोषणा करते रही है, पर धरातल पर यह दावा अब तक सच साबित नहीं हुआ. केंद्र सरकार की उजाला योजना हो या दीनदयाल ग्रामीण विद्युतीकरण योजना, धरातल पर इसे पूरा करने में विभाग अब तक सफल नहीं हो पाई है.
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शहरी क्षेत्र के उपभोक्ताओं के लिए आईपीडीएफ और ग्रामीण क्षेत्र के उपभोक्ताओं के लिए डीडीयूजीकेवाई यानी दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना का हाल, इन दिनों और बेहाल है. इन योजनाओं के ठेकेदार तो जरूर बदल गए, पर नियमित विद्युत आपूर्ति व्यवस्था अब तक बहाल नहीं हो पाई है. झारखंड में मानसून प्रवेश कर चुका है. इस दौरान आंधी-तूफान, बरसात सहित वज्रपात से बिजली आपूर्ति बाधित होने की संभावना ज्यादा हो जाती है.
इसको ध्यान में रखकर झारखंड राज्य विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (Jharkhand State Electricity Distribution Corporation Limited) तैयारियों में जुटा हुआ है. हर साल की तरह विभाग की तैयारी होती है कि बरसात के दौरान अगर बिजली आपूर्ति बाधित हुई तो उसे तुरंत बहाल किया जा सके. लेकिन इनकी तैयारियों का परिणाम धरातल पर देखने को नहीं मिलता है.
मानसून को लेकर नहीं दिख रही विभाग की तैयारी
मानसून आने के पहले ही चतरा के शहरी और ग्रामीण इलाकों में जर्जर खंभे, बिजली तार और खराब ट्रांसफार्मर की समस्याओं से लोग परेशान हैं. कई ऐसे गांव भी है जहां लोग विद्युत विभाग की लेट-लतीफी के कारण विद्युत के खंभे की बजाय बांस के सहारे ही अपने-अपने घरों तक बिजली तार ले गए हैं. विभागीय लापरवाही और ठेकेदार की मनमानी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में अनियमित विद्युत आपूर्ति की समस्या को खत्म करने के लिए आधारभूत संरचना का अभाव है.