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चतरा के ब्लड बैंक में खून की कमी, खतरे में 60 मासूम बच्चों की जान

चतरा में भारतीय रेडक्रॉस सोसाइटी स्थित ब्लड बैंक में खून की कमी हो गई है. इसके चलते थैलेसीमिया से पीड़ित 60 बच्चों की जान को खतरा है. कोरोना के चलते भी लोग रक्तदान नहीं कर पा रहे हैं. ब्लड बैंक में खून की कमी के चलते इससे पीड़ित बच्चों के परिजन काफी परेशान हैं. वे लोगों से रक्तदान करने की अपील कर रहे हैं.

Thalassemia children in chatra
चतरा में ब्लड बैंक में खून की कमी

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Published : Apr 15, 2021, 4:13 PM IST

Updated : Apr 15, 2021, 10:45 PM IST

चतरा:भारतीय रेडक्रॉस सोसाइटी स्थित ब्लड बैंक में खून की कमी हो गई है. ऐसे में थैलेसीमिया से पीड़ित जिले के 60 मासूम बच्चों की जान अब भगवान भरोसे है. यहां सभी बच्चे 3 माह से लेकर 14 साल तक के हैं. उन्हें समय-समय पर खून चढ़ाना पड़ता है. चिकित्सकों का कहना है कि जब तक ऐसे बच्चों को खून चढ़ता रहेगा तब तक उनकी जिंदगी सुरक्षित रहेगी. खून नहीं चढ़ने के कारण उनकी परेशानी बढ़ सकती है.

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कोरोना के चलते लोग नहीं कर रहे रक्तदान

एक तरफ ब्लड बैंक में खून की कमी हो रही है वहीं, दूसरी तरफ कोरोना की वजह से लोग रक्तदान नहीं कर पा रहे हैं. रक्तदान शिविर का आयोजन भी नहीं हो रहा है. इस कारण ब्लड बैंक में ब्लड उपलब्ध नहीं है. बीमार बच्चों के लिए रक्त नहीं मिलने के कारण परिजन भी परेशान हैं. परिजन लोगों के समक्ष बच्चों की जिंदगी के लिए रक्तदान करने की अपील कर रहे हैं. थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को 15 से 20 दिनों के अंतराल में ब्लड की आवश्यकता पड़ती है. इसके अलावा प्रसव महिला एनीमिया, दुर्घटनाग्रस्त वृद्ध लोगों को भी रक्त की आवश्यकता पड़ती है.

रक्तदान से बेहतर होता है इम्यून सिस्टम

भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी के कोषाध्यक्ष ने स्नेह राज ने कहा कि रक्तदान स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अति आवश्यक है. स्वैच्छिक रक्तदान के माध्यम से ही इसकी आपूर्ति संभव है. रक्तदान करने से रक्तदाता के शरीर में श्वेत रक्त कण तेजी से बनते हैं. इससे इम्यून सिस्टम बेहतर हो जाता है. उन्होंने बताया कि मानव शरीर में प्रति किलोग्राम 8 एमएल अतिरिक्त रक्त होता है. रक्तदान के माध्यम से उस अतिरिक्त रक्त को दान करते हैं. रक्तदान के तुरंत बाद पानी पीने से प्लेटलेट्स तैयार हो जाते हैं. चतरा के सिविल सर्जन डॉक्टर रंजन सिन्हा ने भी समाज सेवी, संस्था और अन्य लोगों से बढ़-चढ़कर रक्तदान करने की अपील की है.

पीड़ित बच्चों के परिजनों का दर्द

थैलेसीमिया से पीड़ित दो मासूम बच्चे की पिता तस्लीम अंसारी ने कहा कि ब्लड बैंक में ब्लड नहीं रहने से चिंता बढ़ गई है. 15-20 दिनों में ब्लड की आवश्यकता पड़ती है. तस्लीम का एक बेटा और एक बेटी थैलेसीमिया से पीड़ित है. उन्होंने कहा कि जब से ब्लड बैंक में ब्लड नहीं होने की जानकारी मिली है तब से परेशान हूं. बच्चों को कैसे ब्लड चढ़ेगा इसकी चिंता सता रही है.

क्या है थैलेसीमिया बीमारी ?

थैलेसीमिया बच्चों को माता-पिता से अनुवांशिक तौर पर मिलने वाला रक्त संबंधित रोग है. इस रोग के होने पर शरीर में हीमोग्लोबिन निर्माण प्रक्रिया में गड़बड़ी हो जाती है. इसके कारण रक्तक्षीणता के लक्षण प्रकट होते हैं. इसकी पहचान तीन माह की आयु के बाद ही होती है. इससे पीड़ित बच्चे के शरीर में रक्त की कमी होने लगती है. इसके कारण उसे बार-बार खून चढ़ाने की आवश्यकता होती है.

Last Updated : Apr 15, 2021, 10:45 PM IST

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