चतरा:उत्तर प्रेदश के बुंदेलखंड की कहानी पूरी दुनिया जानती है. ठीक इसी तरह के हालात झारखंड के चतरा के आठ गांव की है. चतरा जिले के कुंदा प्रखंड में ऐसे 8 गांव हैं जहां गर्मी का दस्तक देना यहां के लोगों के लिए श्राप बन जाता है. चार हजार से ज्यादा की आबादी वाले आठ गांव में पूरी गर्मी लोग पानी के लिए परेशान रहते हैं. परेशानी का आलम ऐसा है कि पूरी गर्मी लोग नहीं नहाते और कई बार शौचालय जाने के लिए भी आफत हो जाती है. लोग यहां रोज चुआं खोदते हैं और अपनी प्यास बुझाते हैं. पत्थर और बालू अधिक होने के कारण नवादा पंचायत के सिंदरी, उल्लवार, खूंटबलिया, रेंगनियातरी और बौधाडीह पंचायत के बाचकुम, हारुल, चितवातरी और करिलगड़वा गांव में जलस्तर काफी नीचे है. कुआं और चापाकल जल्द खराब हो जाते हैं.
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घंटों मेहनत के बाद भरता है बाल्टी
इन आठ गांव में लोग सुबह उठते ही सबसे पहले नदी जाते हैं. घंटों मेहनत के बाद कोई बाल्टी, कोई तसला तो कोई दूसरे बर्तन में पानी लेकर घर लौटता है. ग्रामीण बताते हैं कि गर्मी शुरू होते ही धीरे-धीरे जलस्तर कम होने लगता है. मई-जून में स्थिति काफी खराब हो जाती है. इस मामले में पंचायत प्रतिनिधि से कई बार गुहार लगा चुके हैं लेकिन कोई उनकी परेशानी नहीं सुनते. हेमंत सरकार में कैबिनेट मंत्री सत्यानंद भोक्ता इस क्षेत्र से लगातार तीन बार से विधायक हैं. मंत्री बनने के बाद इस इलाके में पानी की समस्या जस की तस है. ग्रामीणों ने बताया कि वोट लेते वक्त वादा किया था चापाकल, कुआं, बिजली और सभी जरूरी चीजों की उपलब्धता सुनिश्चित कराएंगे लेकिन कुछ नहीं किया. लोग गंदा पानी पीने के चलते बीमार होते हैं तो डॉक्टर को बुलाते हैं. लेकिन डॉक्टर भी नहीं आना चाहते. डॉक्टर आ भी गए तो ठीक से मरीजों को नहीं देखते हैं.