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रामगढ़ में काले गेहूं की खेती की शुरुआत, जानें क्या हैं इसके लाभकारी गुण

रामगढ़ के किसान पहली बार काला गेहूं की खेती करने जा रहे हैं. यह किसानों की आमदनी बढ़ाने के साथ ही औषधि के रूप में भी लाभकारी है. सामान्य तौर पर गेहूं के बीज 18 रुपए किलो तक मिल जाता है, जबकि काले गेहूं के बीज 80-100 रुपए किलो तक मिलते हैं.

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Published : Nov 9, 2020, 3:03 PM IST

रामगढ़ में काले गेहूं की खेती की शुरुआत
black wheat cultivation Started in Ramgarh

रामगढ़: गेहूं का उपयोग अब तक भोजन में सभी लोगों ने किया है, लेकिन अब रामगढ़ में काले गेहूं की खेती किसान पहली बार करने जा रहे हैं. यह किसानों की आमदनी बढ़ाने के साथ ही औषधि के रूप में भी लाभकारी होगा. काला गेहूं उगाने की शुरुआत रामगढ़ जिला अन्तर्गत दुलमी प्रखंड के प्रियातु गांव में हो चुकी है.

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काला गेहूं रंग और स्वाद में सामान्य गेहूं से होता है अलग

प्रियातू के किसान आनंद महतो के नेतृत्व में पंद्रह किसानों के समूह ने कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण (आत्मा) रामगढ़ के मार्गदर्शन में काले गेहूं की बीज की रोपाई सधनीकरण पद्धति से की है. यह गेहूं की खेती करने का तरीका हैं, इस पद्धति से बुआई करके अधिक उपज प्राप्त किया जाता हैं. इस पद्धति में कम बीज लगता हैं. इस गेहूं की खास बात यह है कि इसका रंग काला है. काले गेहूं में कैंसर, डायबिटीज, तनाव, दिल की बीमारी और मोटापे जैसी बीमारियों की रोकथाम करने की क्षमता है, जिसके कारण इसे कैंसर और डायबिटीज रोगियों के लिए गुणकारी माना गया है. यह सामान्य गेहूं से चार गुना महंगा बिकता हैं. काला गेहूं रंग और स्वाद में सामान्य गेहूं से थोड़ा अलग होता हैं, लेकिन बेहद पौष्टिक होता है.

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दाना पकते समय सिंचाई करना आवश्यक


सामान्य तौर पर गेहूं का बीज 18 रुपए किलो तक मिल जाता है, जबकि काले गेहूं का बीज 80-100 रुपए किलो तक मिलता है. बाजार में आमजन के लिए इस गेहूं का आटा करीब 110-130 रुपए किलो मिलता है. सामान्यतः अनाज के रंग उनमें मौजूद प्लांट पिगमेंट या रंजक कणों की मात्रा पर निर्भर होते हैं. काले गेहूं में एंथोसायनिन नाम के पिगमेंट होते हैं. एंथोसायनिन की अधिकता से अनाजों का रंग नीला, बैंगनी या काला हो जाता है.

एंथोसायनिन नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट भी है. इसी वजह से यह सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है. काले गेहूं में आम गेहूं की तुलना में 60 फीसदी आयरन ज्यादा होता है. प्रोटीन, स्टार्च और दूसरे पोषक तत्व सामान मात्रा में होते हैं, लेकिन इसमें जिंक की मात्रा भी अधिक होती है. इसमें फुटाव के समय, गांठें बनते समय, बालियां निकलने से पहले, दूधिया दशा में और दाना पकते समय सिंचाई करना आवश्यक है.


काला गेहूं की खेती करने की चाहत

कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण (आत्मा )रामगढ़ के उप परियोजना निदेशक चंद्रमौलि ने बताया कि वैसे तो किसान अपनी परंपरागत खेती करने में ही विश्वास करते हैं, लेकिन दुलमी के प्रियातु गांव के आनंद महतो को इस नवीनतम तकनीक से अवगत कराया गया तो वो इच्छुक हुए और काले गेहूं की खेती करने की चाहत बनी. उम्मीद है कि इससे अच्छा उत्पादन होगा और आगे जिले के किसान आगे भी इसे अपनाएंगे और अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार कर आमदमी बढ़ाने में एक कदम और आगे निकल जाएंगे. आनंद महतो ने परंपरागत खेती की बजाए उससे हटकर खेती की शुरूआत की.

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