आज का दिन11 जुलाई पूरी दुनिया में विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाया जाता है. पहली बार संयुक्त राष्ट्र विकास परिषद की ओर से 11 जुलाई 1989 को विश्व जनसंख्या दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा की गई.
दरअसल, जब वैश्विक जनसंख्या 11 जुलाई 1987 में लगभग 5 बिलियन के करीब हो गई, तब इस तेजी से बढ़ती आबादी ने कई चुनौतियां खड़ी कर दी. हर दिन, हर घंटे, हर सेकंड बढ़ती इस आबादी से जुड़ी समस्याओं पर लोगों का ध्यान केंद्रित करने के मकसद से हर साल 11 जुलाई को वर्ल्ड पॉप्यूलेशन डे मनाए जाने की पहल की गई.
⦁ संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की रिपोर्ट के अनुसार, 2010 से 2019 के बीच भारत की जनसंख्या 1.2 की औसत वार्षिक दर से बढ़कर 1.36 अरब हो गई है. जो चीन की वार्षिक वृद्धि दर के मुकाबले दोगुनी से ज्यादा है.
⦁ इसके साथ ही 2019 में भारत की जनसंख्या 1.36 अरब पहुंच गई, जो 1994 में 94.22 करोड़ और 1969 में 54.15 करोड़ थी.
⦁ विश्व की जनसंख्या 2019 में बढ़कर 771.5 करोड़ हो गई है, जो पिछले साल 763.3 करोड़ थी.
3 भारत के महान वैज्ञानिक डॉक्टर अब्दुल कलाम ने भी इस विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि 'विश्व की लगभग आधी से ज्यादा जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में है और ज्यादातर लोग गरीबी की स्थिति में होते हैं. ऐसी असमानता मानव विकास में एक प्रमुख कारण है, जो अशांति विश्व के कुछ भागों में हिंसा का भी कारण बने हुए हैं'.
संसद मे पेश किए गए इकोनॉमिक सर्वे में साफ देखा गया कि झारखंड की कुल प्रजनन दर में गिरावट आई है. 2001 में जहां यह 4.4 थी, वहीं 2011 में यह घटकर 2.9 हुई और 2016 में 0.3 की गिरावट के साथ यह 2.6 तक पहुंच गई है. आने वाले साल में अनुमान यह लगाया जा रहा है कि 2021 तक कुल प्रजनन दर 1.8 होगी, जो भारत के कुल प्रजनन दर की बराबरी करेगी. भारत की कुल प्रजनन दर इस साल 2.3 है, जबकि विश्व की 2.5 है.
इकोनॉमिक सर्वे की मानें तो सूबे में बुजुर्गों के आंकड़ों में तेजी से इजाफा हो सकता है. साल 2021 तक करीब 32 लाख, साल 2031 तक 44 लाख और साल 2041 तक 60 लाख बुजुर्गों का आंकड़ा हो सकता है. हालांकि बुर्जुगों का औसत राष्ट्रीय औसत (कुल आबादी का 15.9 फीसदी) की तुलना में काफी कम 13.4 फीसदी रहेगा. यह संख्या मध्यप्रदेश के बुजुर्गों की आबादी के बराबर होगी.
झारखंड15 नवंबर, 2000 को बिहार के विभाजन के बाद पैदा हुआ, खनिज संपन्न झारखंड संभवतः तीन नए बनाए गए राज्यों में सबसे अमीर था. इसकी जनसंख्या खदानें, खनिज और उद्योगों के मामले मे छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड की तुलना में अधिक थी. फिर भी, आज सकल राज्य घरेलू उत्पाद के साथ ही झारखंड मानव विकास सूचकांकों के मामले में छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड से पीछे है. इसकी एक वजह बेतरतीब बढ़ती जनसंख्या को माना जा सकता है.