रांची: 'फिरकी' बच्चों का मनपसंद खिलौना है. रंग-बिरंगे कागज से बने इस खिलौने को देख कर बच्चों का चेहरा खिल उठता है. लेकिन बच्चों के चेहरों पर मुस्कान लाने वाले इस खिलौने को बनाने वालों के चेहरों से खुशी अब दूर होती जा रही है.
बच्चों के चेहरे पर 'फिरकी' से मुस्कान लाने वाले कारीगरों को जिंदगी के करवट लेने का है इंतजार - smile on faces of children
रंग बिरंगे कागज के बने फिरकी खिलौनों को देखकर बच्चों के चेहरे खिल जाते है. लेकिन भागदौर और आधुनिकीकरण के इस युग में कई ऐसी चिजें है जो समय के साथ बदल गया है और लुप्त हो जा रही है. लेकिन कई ऐसे कारीगर आज भी है जो इस जिंदा रखे है उन्हें इस खिलौने की मेहनत का मेहनताना भी ठीक से नहीं मिल पाता है.
कागज और बांस से बना खिलौना 'फिरकी' हर किसी के बचपन की यादों को ताजा कर देती है. आज जबकि एक से बढ़कर एक लेटेस्ट डिजाइन के खिलौने की बाजार में भरमार है. लेकिन फिरकी आज भी अपने पुराने स्वरूप में दिखती है, बच्चों को खूब पसंद आती है.
हर मेले में यह खिलौना आकर्षण का केंद्र होता है. पिछले 33 वर्षों से कारीगर इस खिलौने को बनाने के लिए रांची आते हैं. पहले फिरकी की कीमत 10 पैसे हुआ करती थी. जो समय के साथ बढ़कर अब 10 रुपये हो गया है. झारखंड के अलावे दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, ओडिशा के अलावे कई राज्यों में इस खिलौने की डिमांड है.
कारीगरों की माने तो मेहनत और लागत के मुताबिक कोई खास कमाई नहीं होती है. जिसके बावजूद बच्चों की खुशी के लिए इस कार्य में कुछ लोग अभी भी जुड़े हुए हैं.
विजय कुमार गोप ईटीवी भारत रांची