रांची: प्राकृति का महापर्व सरहुल पूजा पाहन के द्वारा पूरे विधि विधान के साथ किया गया. सरहुल आदिवासियों के प्रमुख त्योहारों में से एक है. सरहुल पर्व से ही आदिवासी समाज के लोग नए वर्ष की शुरुआत करते हैं. आज के दिन से ही हर शुभ काम किया जाता है. सुबह से ही मुख्य पाहन के द्वारा पूजा अर्चना की जाती है.
पाहन जगलाल ने बीते शाम घड़े में रखे पानी को देखा और बताया कि इस बार बारिश अच्छी होगी. भंडार में काफी मात्रा में पानी है जिसके कारण बारिश खूब अच्छी होगी और फसल भी अच्छी होगी. सरना स्थल पर विधि विधान के साथ पूजा हुई. इसके बाद आदिवासी परंपरा के अनुसार 5 मुर्गे की बलि दी गई.
प्राकृति पर्व सरहुल की मुख्य पूजा हातमा सरना स्थल में की गई. जहां सफेद मुर्गे की बलि सृष्टि कर्ता के लिए दी जाती है, ताकि पर्यावरण और वायुमंडल ठीक-ठाक रहे. बता दें कि रंगवा मुर्गा की बलि ग्राम देवता के लिए दी जाती है. ताकि गांव घर को सुरक्षा प्रदान करे. माला मुर्गा की बलि नदी तालाब के लिए दी जाती है ताकि उसमें पानी भरा रहे और अच्छी खेती हो सके, लुपुंग मुर्गी की बली पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए दी गई. वहीं, गोरी आत्मा की शांति के लिए काली मुर्गी की बलि दी गई.
मान्यता है कि इससे गांव घर आत्माओं से मुक्ती मिलती हैं. पूजा के बाद पाहन को घड़े के पानी से स्नान कराया गया. पाहन के घर पहुंचने पर महिलाओं ने उसका पैर धोकर गृह प्रवेश कराया.