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जनसंवाद में बोले रघुवर दास, 18,000 पंचायत सेवकों की प्रोत्साहन राशि का मामला सुलझाएं DC

सरकारी विभाग उन स्वयंसेवकों की मदद से सरकार की योजनाओं का प्रचार प्रसार तो करवा रहे हैं, लेकिन उन्हें मिलने वाली प्रोत्साहन राशि नहीं दी जा रही है. मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव सुनील कुमार वर्णवाल ने कहा कि राज्य के 12 जिले ऐसे हैं जहां से यह शिकायत बड़ी मात्रा में आई है.

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Published : Feb 28, 2019, 3:22 PM IST

संबोधित करते सीएम रघुवर दास

रांची: मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सूबे के सभी जिलों के उपायुक्तों को पंचायत स्वयं सेवकों की प्रोत्साहन राशि का भुगतान सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है. गुरुवार को जनसंवाद में सीधी बात कार्यक्रम को दौरान सीएम ने कहा कि कई ऐसे जिले हैं जहां से यह शिकायत आई है कि न तो उन पंचायत स्वयं सेवकों का आईडेंटिटी कार्ड बना है और ना ही उन्हें प्रोत्साहन राशि मिली है.

उन्होंने कहा कि सरकारी विभाग उन स्वयंसेवकों की मदद से सरकार की योजनाओं का प्रचार प्रसार तो करवा रहे हैं, लेकिन उन्हें मिलने वाली प्रोत्साहन राशि नहीं दी जा रही है. मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव सुनील कुमार वर्णवाल ने कहा कि राज्य के 12 जिले ऐसे हैं जहां से यह शिकायत बड़ी मात्रा में आई है. सीएम ने इस बाबत निर्देश देते हुए कहा कि गुरुवार को सेकंड हाफ में सभी जिलों के डीसी अपने यहां बैठक बुलाकर इस मामले को जल्द सुलझाएं. उन्होंने कहा कि राज्य भर में 18,000 पंचायत सेवक सरकार की योजनाओं के प्रचार प्रसार में लगे हैं.

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रखंड स्तर पर तैनात स्वयंसेवक खुद ब्लॉक में जाकर सरकारी योजनाओं की जानकारी ले ना की पंचायत में तैनात स्वयंसेवकों को अपने पास बुलाएं. उन्होंने सभी जिलों के उपायुक्तों को कहा कि वो खुद इसकी मॉनिटरिंग करें. मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी डिप्टी कमिश्नर अपने-अपने जिलों में पिछड़ी जाति का सर्वेक्षण कराएं और1 महीने के अंदर योजना विभाग को अपनी डिटेल रिपोर्ट भेजें. उन्होंने कहा कि प्राथमिकता के आधार पर 5 मार्च को शुरू होने वाली श्रम योगी मानधन योजना इंप्लीमेंटेशन के लिए 5 से 7 मार्च तक ब्लॉक लेवल तक कैंप लगाएं.

सीएम ने कहा कि संथाल परगना इलाके के 6 जिलों में 1 से 5 कक्षा तक ओल चिकी लिपि की पढ़ाई सुनिश्चित हो इसके लिए किताब सरकार देगी. उन्होंने कहा की 1 हफ्ते के अंदर उन जिलों में तैनात डिप्टी कमिश्नर लिपि के जानकार युवक-युवतियों की तैनाती उन स्कूलों में करें. इसके साथ ही डेढ़ सौ रुपए प्रति घंटे के हिसाब से 6 घंटे सुनिश्चित कराएं. गौरतलब है कि ओलचिकी संथाली भाषा की लिपि है और राज्य सरकार ने सरकारी स्तर पर इसकी पढ़ाई सुनिश्चित करने का फैसला लिया है.

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