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धान खरीद घोटाला: आईजी ने सभी जिलों से मांगी केस की रिपोर्ट

झारखंड में पैक्स के जरिए धान खरीद में करोड़ों के घोटाले में आईजी सीआईडी ने सभी जिलों के एसपी से रिपोर्ट मांगी है. सभी एसपी को आदेश दिया गया है कि वो अपने जिला में धान खरीद में हुई अनियमितता के संबंध में दर्ज कांड की समीक्षा करें.

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Published : May 19, 2019, 4:48 AM IST

सीबीआई

रांची: झारखंड में पैक्स के जरिए धान खरीद में करोड़ों के घोटाले में सीआईडी रेस हो गई है. डीजीपी डीके पांडेय ने राज्यभर के थानों में धान खरीद में घोटाले की जांच सीआईडी से कराने का आदेश दिया है. डीजीपी के आदेश के बाद सीआईडी के आईजी सह आईजी प्रोविजन अरूण कुमार सिंह ने सभी जिलों के एसपी और रेंज डीआईजी से पत्राचार किया है.

पत्र भेज कर आईजी सीआईडी ने सभी जिलों के एसपी से रिपोर्ट मांगी है. सभी एसपी को आदेश दिया गया है कि वो अपने अपने जिला में धान खरीद में हुई अनियमितता के संबंध में दर्ज कांड की समीक्षा करें. समीक्षा के बाद केस की अद्यतन स्थिति की रिपोर्ट एक दिन के भीतर सीआईडी और पुलिस मुख्यालय को भेजने का आदेश दिया गया है. सभी रेंज डीआईजी को कहा गया है कि वो यह सुनिश्चित करें कि उनके रेंज से यह रिपोर्ट ससमय पुलिस और सीआईडी मुख्यालय तक पहुंचे.

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गृह सचिव ने हाईकोर्ट की सख्ती से बाद मांगी थी जानकारी
झारखंड सरकार के गृह सचिव एसकेजी रहाटे को हाईकोर्ट ने पूरे मामले में शपथ पत्र देना है. हाईकोर्ट की सख्ती के बाद गृह सचिव ने झारखंड में दर्ज सारे मामलों की जानकारी राज्य पुलिस मुख्यालय से मांगी थी. गृह विभाग के उपसचिव इग्नातियुस कुल्लू ने इस बारे में पुलिस मुख्यालय को पत्र लिखा था. जिलों से केस के प्रतिवेदन मिलने के बाद रिपोर्ट संकलित कर गृह विभाग को भेजी जाएगी.

हाईकोर्ट में पूछा था, क्यों नहीं कराऐ सीबीआई जांच

धान खरीद घोटाले में राज्य के हजारीबाग, गोड्डा, देवघर, जामताड़ा, दुमका, पाकुड़ समेत अन्य जिलों में एफआईआर दर्ज हैं. लिट्ठीपाड़ा थाना में दर्ज कांड संख्या 39/17 में आरोपी बाहुल मंडल ने जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने गड़बड़ी पकड़ी थी. हाईकोर्ट ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा है कि धान खरीद घोटाले में सरकारी फंड का बड़ा दुरूपयोग हुआ. बावजूद इसके पुलिस ने सिर्फ आईपीसी की धारा 406, 420 में एफआईआर दर्ज की.

हाईकोर्ट ने कहा कि केस के अनुसंधानकर्ताओं ने सही तरीके से अनुसंधान नहीं किया और न ही जांच में कांड से जुड़े जरूरी तथ्य ही जमा किए गए. अधिकांश मामलों में बगैर सही और सटिक अनुसंधान का पुलिस ने चार्जशीट भी जमा कर दिया. हाईकोर्ट ने पूछा था कि पूरे मामले की जांच क्यों नहीं सीबीआई से करायी जाए.

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