रांची: पिछले दिनों न्यूक्लियस मॉल में हुई पार्थिव की मौत मामले में मॉल प्रबंधन चौतरफा घिरता नजर आ रहा है. मानक के मुताबिक मॉल में लगी रेलिंग के किनारे बाहर की तरफ नेट लगा होना चाहिए, जो न्यूक्लियस मॉल में नहीं था. 28 जून को ऊर्जा विभाग की ओर से गठित जांच दल ने भी यह पाया कि न्यूक्लियस मॉल के एस्केलेटर के निर्माण में नियमों का पालन नहीं किया गया.
तो ऐसे बच सकती थी पार्थिव की जान, न्यूक्लियस मॉल प्रबंधन ने की मानको की अनदेखी, पढ़ें पूरी खबर - Ranchi News
राजधानी रांची के न्यूक्लियस मॉल में हुई बच्चे की मौत के मामले में नया मोड़ आया है. ऊर्जा विभाग की ओर से गठित जांच दल ने भी यह पाया कि न्यूक्लियस मॉल के एस्केलेटर के निर्माण में नियमों का पालन नहीं किया गया.
मॉल एक पब्लिक प्लेस होती है, यहां तरह-तरह की मनोवृति के साथ लोग पहुंचते हैं. अवसाद से ग्रसित लोग ऐसी जगहों को सुसाइड प्वाइंट के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं. देश के कई हिस्सों से ऐसी खबरें भी आ चुकी है. इसकी वजह से मॉल में नेट सिस्टम स्थापित करना भी सुरक्षा गाइडलाइन का एक हिस्सा है, जो न्यूक्लियस मॉल में नहीं है.
रांची जिला बार एसोसिएशन सचिव कुंदन प्रकाश ने बताया कि न्यूक्लियस मॉल में जान गंवाने वाले पार्थिव के परिवार को करोड़ों रुपयों का मुआवजा मिलना चाहिए. इसके साथ ही मॉल प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, जो अब तक देखने को नहीं मिली. 22 जून को न्यूक्लियस मॉल में हुए इस हादसे के बाद आम लोग भी बच्चों को लेकर मॉल में जाने से घबरा रहे हैं.