झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / state

झारखंड में धुर विरोधी नेताओं ने मिलाया हाथ, लोकसभा चुनावों में बने कई नए समीकरण - झारखंड समाचार

मिशन 2019 के दंगल में झारखंड में नए राजनीतिक समीकरण बनते दिख रहे हैं. जहां एक दूसरे के खिलाफ मुखर रहनेवाले जेवीएम और जेएमएम एक साथ खड़े हैं. वहीं दूसरी तरफ विधानसभा चुनाव के लिए जेएमए मजबूत होता दिख रहा है.

शिबू सोरेन और बाबूलाल मरांडी

By

Published : May 18, 2019, 3:00 PM IST

रांची: लोकसभा चुनाव झारखंड के लिए कई मायनों में अलग साबित होने वाला है. एक तरफ जहां चुनावी नतीजों को लेकर पक्ष और विपक्ष ताल ठोक रहा है. वहीं दूसरी तरफ तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों का भविष्य इस लोकसभा चुनाव के नतीजों पर निर्भर है. इस बार के चुनाव में कई ऐसे राजनीतिक समीकरण बने, जिन पर एक बार भी विश्वास करना कठिन हो रहा था.

देखें पूरी खबर

लोकसभा चुनाव की सुगबुगाहट के पहले ही महागठबंधन को लेकर कवायद चल रही थी, लेकिन नेतृत्व पर संकट बना हुआ था. हालांकि चुनाव की घोषणा के बाद यह तय हो गया कि सभी विपक्षी दल एक प्लेटफार्म पर खड़े हो जाएंगे. हैरत की बात यह रही कि झारखंड विकास मोर्चा के सुप्रीमो और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी जो शुरू से झारखंड मुक्ति मोर्चा के विरोध में खड़े रहे, उन्होंने झामुमो सुप्रीमो के समर्थन में दुमका में चुनाव प्रचार किया. जबकि दुमका संसदीय सीट पर मरांडी, सोरेन को हराकर सांसद भी रहे हैं. इसके अलावा इस चुनाव में महागठबंधन में शामिल कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा और झारखंड विकास मोर्चा के बीच यह भी तय हो गया कि इस साल के अंत में संभावित विधानसभा चुनाव में विपक्षी दल के चेहरा के रूप में झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यवाहक अध्यक्ष हेमंत सोरेन रहेंगे.

संथाल की दुमका सीट पर महासंग्राम
संथाल परगना की हॉट सीट दुमका पर सत्तारूढ़ दल बीजेपी और महागठबंधन के उम्मीदवार शिबू सोरेन के बीच कांटे की टक्कर होने की संभावना है. इस चुनाव में सबसे अजीब बात यह है कि चुनाव लड़ रहे शिबू सोरेन न तो दुमका के वोटर हैं और न ही चुनाव प्रचार कर रहे उनके बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन वहां के मतदाता हैं. इतना ही नहीं अलग-अलग चुनावी सभाओं में शिरकत कर रहे बाबूलाल मरांडी भी दुमका के वोटर लिस्ट में नहीं है.

ये भी पढ़ें-परीक्षा प्रणाली में बदलाव का दिखा सकारात्मक असर, JAC के प्रयास से मैट्रिक रिजल्ट हुआ बेहतर

बीजेपी कोटे से राज्य के 3 मंत्रियों की सांसें हैं अटकी
चूंकि संथाल परगना इलाके से राज्य के तीन मंत्री आते हैं. इनमें से एक मधुपुर से विधायक और राज्य के श्रम मंत्री राज पलिवार गोड्डा संसदीय इलाके से आते हैं. जबकि अन्य दो दुमका संसदीय सीट के सारठ और दुमका विधानसभा इलाके से विधायक हैं. चूंकि दुमका सीट पर पिछले 3 टर्म से सोरेन एमपी हैं. इस वजह से वहां के विधायक साथ में मंत्री होने की वजह से लुईस मरांडी और रणधीर सिंह पर अप्रत्यक्ष रूप से काफी दबाव है. वहीं मधुपुर से विधायक राज पलिवार के ऊपर गोड्डा संसदीय इलाके में परफॉर्म करने को लेकर अलग प्रेशर है. बीजेपी अंदर खाने मिली जानकारी के अनुसार लोकसभा चुनाव का वोटिंग पैटर्न इन तीनों मंत्रियों के भविष्य का भी निर्धारण करेगा.

ये भी पढ़ें-लालू यादव से मिलने पहुंची बेटी रोहिणी और राजलक्ष्मी, दामाद तेज प्रताप ने भी जाना हाल-चाल

पिछले चुनावी आंकड़ों की बात करें तो मौजूदा महागठबंधन के घटक दल आपस में लड़ रहे थे. इस वजह से लोकसभा चुनाव में वोटों का जमकर बिखराव हुआ, इस बार पार्लियामेंट्री इलेक्शन में झामुमो, कांग्रेस और झाविमो कथित रूप से इंटैक्ट है तो इसका असर वोटिंग पैटर्न पर भी पड़ेगा. यह पहला मौका है जब महागठबंधन मजबूती से लड़ रहा है.
बता दें कि बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री रघुवर दास लगातार दौरे करते रहे हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी के नेशनल प्रेसिडेंट अमित शाह और कई स्टार प्रचारक संथाल परगना आकर लौट चुके हैं. 19 मई को संथाल परगना की तीनों सीट के लिए मतदान होना है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details