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फांसी की सजा सुनाने वाले जज को जान का खतरा, SP के हत्यारों को सुनाई थी सजा

रांची में जज मो तौफिकूल हसन ने माओवादियों को सजा सुनाए जाने के बाद खुद और परिजनों को जान का खतरा महसूस होने पर सुरक्षा के लिए झारखंड हाईकोर्ट को पत्र लिखा था. जिसके बाद उन्हें सुरक्षा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है.

झारखंड हाईकोर्ट

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Published : May 23, 2019, 5:32 AM IST

रांची: झारखंड के पाकुड़ एसपी अमरजीत बलिहार समेत पांच जवानों की हत्या के मामले में सजा सुनाने वाले जज और उनके परिवार को नक्सलियों से खतरा है. जज मो तौफिकूल हसन ने माओवादियों को सजा सुनाए जाने के बाद खुद और परिजनों को जान का खतरा महसूस होने पर सुरक्षा के लिए झारखंड हाईकोर्ट को पत्र लिखा था. जिसके बाद उन्हें और उनके परिजनों को सुरक्षा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है.

हाई कोर्ट को लिखा था पत्र
माओवादी नेता सुखलाल मुर्मू उर्फ प्रवीर और सनातन बास्की को अमरजीत बलिहार हत्याकांड में दुमका जिला एवं अपर न्यायाधीश सह एसीबी के विशेष न्यायाधीश मो तौफिकूल हसन ने माओवादियों को सजा सुनाए जाने के बाद खुद और परिजनों को जान का खतरा महसूस होने पर सुरक्षा के लिए झारखंड हाईकोर्ट को पत्र लिखा था. झारखंड हाईकोर्ट महानिबंधक अंबुजनाथ ने इस मामले में डीजीपी डीके पांडेय को पत्र लिखा था. जिसके बाद स्पेशल ब्रांच ने जज की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की है.

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स्पेशल ब्रांच ने सुरक्षा मजबूत करने के लिए दुमका, कटिहार एसपी को लिखा पत्र
झारखंड हाईकोर्ट के पत्र के आधार पर स्पेशल ब्रांच ने मामले की समीक्षा की. समीक्षा के बाद 20 मई को स्पेशल ब्रांच के एसपी सुरक्षा ने दुमका और कटिहार के एसपी को पत्र लिखकर जज मो तौफिकूल हसन और उनके परिजनों को सुरक्षा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. ताकि कोई अप्रिय घटना न हो सके.

स्पेशल ब्रांच ने इस मामले में बिहार के डीजीपी, आईजी अभियान, दरभंगा के जोनल डीआईजी और झारखंड हाईकोर्ट के महानिबंधन को भी मामले की सूचना भेजी है. जज मो तौफिकूल हसन का कटिहार स्थित आवास पर सुरक्षा मजबूत करने के लिए कटिहार एसपी को निर्देशित किया गया है.

डीआईजी की समीक्षा बैठक से लौटने के दौरान हुई थी एसपी की हत्या
पाकुड़ एसपी अमरजीत बलिहार समेत पांच जवानों की हत्या 2 जुलाई 2013 को काठीकुंड के आमतल्ला में कर दी गई थी. घटना के दिन अमरजीत बलिहार दुमका डीआईजी की समीक्षा बैठक से वापस लौट रहे थे. माओवादियों के खिलाफ लगातार अभियान चलाने की वजह से वो माओवादी प्रवीर और सनातन बास्की के निशाने पर थे. रांची के रहनेवाले अमरजीत बलिहार 2003 में प्रमोशन पाकर आईपीएस बने थे. हत्या के तीन महीने पहले वो पाकुड़ एसपी बने थे.

पोस्टर साट कर माओवादियों ने दी थी धमकी
प्रवीर दा और सनातन बास्की को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद माओवादियों ने बीते साल अक्तूबर महीने में दुमका के शिकारीपाड़ा में कई जगहों पर पोस्टरबाजी की थी. पोस्टर लगाकर माओवादियों ने सजा सुनाने वाले जज और अन्य लोगों को धमकी दी थी.

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