रांची: राज्य के सभी पुलिसकर्मी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आज से काला बिल्ला लगाकर काम कर रहे हैं. अपनी 7 सूत्री मांगों को लेकर पुलिस एसोसिएशन विरोध जता रहा है. पुलिस एसोसिएशन का कहना है कि 13 महीने का वेतन, सातवां वेतन आयोग और मृत पुलिसकर्मियों के आश्रितों को नौकरी के अलावा विभिन्न मांगों पर सरकार को विचार करना चाहिए.
झारखंड में अपराधियों को 28 फरवरी से 4 मार्च तक खुली छूट! छुट्टी पर रहेगी 'खाकी'
राज्य के सभी पुलिसकर्मी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आज से काला बिल्ला लगाकर काम कर रहे हैं. अपनी 7 सूत्री मांगों को लेकर पुलिस एसोसिएशन विरोध जता रहा है. पुलिस एसोसिएशन का कहना है कि 13 महीने का वेतन, सातवां वेतन आयोग और मृत पुलिसकर्मियों के आश्रितों को नौकरी के अलावा विभिन्न मांगों पर सरकार को विचार करना चाहिए.
देखिए स्पेशल स्टोरी
झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन के अध्यक्ष राम अवतार सिंह का कहना है कि 12 से 14 फरवरी तक वह काला बिल्ला लगाकर काम करेंगे. उन्होंने कहा कि वह सरकार को यह संकेत देना चाहते हैं कि 7 सूत्री मांगों को जल्द से जल्द लागू करें ताकि वो लोग फिर से आंदोलन पर न जाएं.
पुलिसकर्मियों की 7 सूत्री मांग
- मुख्यमंत्री रघुवर दास ने एक कार्यक्रम के दौरान घोषणा की थी कि राज्य के पुलिसकर्मियों को 13 महीने का वेतन दिया जाएगा. मुख्यमंत्री की घोषणा के 2 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक यह व्यवस्था सरकार की तरफ से लागू नहीं की गई.
- झारखंड पुलिस एसोसिएशन और मेंस एसोसिएशन राज्य सरकार के द्वारा की जा रही सिपाही से सीधे एसआई की भर्ती को रद्द करने की मांग कर रही है. एसोसिएशन के अनुसार, अगर सिपाही को सीधे दारोगा बना दिया जाएगा तो कई लोगों का प्रमोशन बाधित हो जाएगा.
- एसीपी/एमएसीपी कि लंबित मामलों का शीघ्र निस्तारण कराया जाए और एसीपी के लिए काल गणना नियुक्ति की तिथि में की जाए. प्रशिक्षण की तिथि से गणना करने की नियमावली को संशोधित की जाए.
- सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा के अनुरूप पुलिसकर्मियों के मिलने वाले भत्ते तथा वर्दी भत्ता, राशन मनी, धुलाई भत्ता, भोज भत्ता, प्रशिक्षण भत्ता, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में 25% अतिरिक्त भत्ता एवं अन्य सभी भत्तों को निरंतर से लागू किया जाए तथा अपराध अनुसंधान विभाग, विशेष शाखा, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में पदस्थापित पुलिसकर्मियों को राज्य के जिला/इकाई में पदस्थापित पुलिसकर्मियों की तरह वर्दी भत्ता दिया जाए.
- वरीय पुलिस पदाधिकारियों की तरह कनीय पुलिस पदाधिकारियों एवं कर्मियों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करायी जाए और प्रतिपूर्ति की नियमावली को सरल बनाया जाए.
- शहीद पुलिसकर्मियों के आश्रित पुत्र की नौकरी हेतु निर्धारित उम्र सीमा में अन्य आश्रितों की तरह अधिकतम उम्र सीमा की छूट दी जाए एवं आश्रित परिजनों को मिलने वाली राशि में से 25 % उसके माता-पिता को दी जाए.
- नई पेंशन नियमावली की जगह पुरानी पेंशन योजना को लागू किया जाए.