रांची: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में बजट पेश कर दिया है और इसको लेकर तमाम तरह की प्रतिक्रिया आ रही हैं. आम लोगों की बजट से ढेरों उम्मीदें थी और ऐसे में आम जनता के बीच इस बात की कोतूहल है कि बजट के बाद उनकी जेब पर क्या असर पड़ रहा है? वहीं अर्थशास्त्री के अनुसार बजट को देखते हुए 2019-20 की मुद्रा स्फीती बढ़ोत्तरी देखी जा सकती है.
टैक्सइनकम टैक्स में कोई बदलाव नहीं किया गया है. यानि अगर आपकी आमदनी पांच लाख रुपए तक है तो आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा. टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है और ये पहले की तरह हैं. 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक की आमदनी वालों को 20 फीसदी की दर से टैक्स पहले की तरह देना होगा. आमदनी पांच लाख से ऊपर होने पर 2.5 लाख से 5 लाख तक पर 5 फीसदी, 5 लाख से 10 लाख पर 20 फीसदी और 10 लाख से ऊपर की आमदनी पर 30 फीसदी टैक्स देना होगा.बड़े अमीरों पर टैक्स का बोझ बढ़ाबड़े अमीरों पर टैक्स का बोझ और अधिक बढ़ाया गया है. 2 करोड़ से 7 करोड़ के बीच आमदनी वाले पर अतिरिक्त टैक्स बढ़ाया गया है. 2 करोड़ से 5 करोड़ की आमदनी पर 3 फीसदी और 5 करोड़ से ऊपर आमदनी वालों को 7 फीसदी अतिरिक्त टैक्स देना होगा.पेट्रोल-डीजल हुआ महंगाआपकी आमदनी कुछ भी हो आपको डीजल और पेट्रोल पर ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे. पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी और सेस बढ़ाए गए. इस तरह डीजल और पेट्रोल महंगा हो जाएगा. अर्थशास्त्री हरिश्वर दयाल ने बताया कि डीजल पर प्रति लीटर 1 रुपए एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने से ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट जरूर बढ़ेगा, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाएंगी. इसके लिए उन्होंने वर्तमान मुद्रास्फीति का हवाला देते हुए कहा कि वर्तमान में इन्फ्लेशन 4% के आसपास है. उन्होंने कहा कि राजकोषीय घाटा जब बढ़ता है तो महंगाई भी बढ़ती है. मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए सरकार के पास पॉलिसी भी है, लिहाजा उन्हें नहीं लगता कि डीजल पर एक रुपया प्रति लीटर इजाफा करने से वस्तुओं के दामों में बढ़ोतरी होगी. उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन की दलील का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा है कि सरकार मुद्रास्फीति को और कम करेगी. सस्ते घर लेने वालों को खुशखबरी45 लाख रुपये तक का नया घर लेने वालों के लिए खुशखबरी है. अब उन्हें लिए गए हाउसिंग लोन के ब्याज पर 3.5 लाख रुपये तक टैक्स पर छूट मिलेगी. पहले 2 लाख तक टैक्स में छूट थी.MSME के लिए लोन लेना आसानबजट में किए गए प्रावधानों के मुताबिक एमएसएमई के लिए लोन लेना आसान होगा. यानि आपकी जेब में कम पैसे हैं तो भी आप लघु और मध्य उद्योग धंधे कर सकते हैं. सरकार ने त्वरित लोन लेने की प्रक्रिया को और आसान बनाने की बात कही है.छोटे और मध्य कारोबारियों को राहतबजट में छोटे और मध्य कारोबारियों को भी राहत दी गई है. अब तक 250 करोड़ के टर्नओवर वालों को 25 फीसदी टैक्स देना पड़ता था. अब इसे बढ़ाकर 400 करोड़ कर दिया गया है. यानि 400 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाली कंपनियों पर 25 फीसदी का टैक्स लगेगा.खुदरा कारोबारियों को पेंशनछोटे कारोबारियों और दूकानदारों को पेंशन मिलेगी यानि उनकी जेब भरी रहेगी. 1.5 करोड़ सालाना का टर्नओवर देने वाले खुदरा यानी छोटे कारोबारियों को सरकार पेंशन देगी. इसके लिए नई योजना पर काम किया जा रहा है.इलेक्ट्रिक कार खरीदने वालों को मिली सौगातइलेक्ट्रिक कार खरीदने वालों को इस बजट में सौगात दी गई है. उन्हें इसके लिए लोन पर 1.5 लाख रुपये तक टैक्स छूट दी जाएगी. इलेक्ट्रिक वाहनों को खरीदने के लिए जो लोन दिया जाता है उसके ब्याज पर 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट का एलान किया गया है.इस तरह बजट के बाद सरकार की तरफ से दावा किया जा रहा है कि उन्होंने आम लोगों से लेकर हरेक वर्ग के लिए कुछ न कुछ एलान किए हैं. हाउसिंग सेक्टर के लिए किए गए एलान से लोगों के लिए घर खरीदना सस्ता होगा और 2022 तक सरकार का सबको घर देने की योजना को पूरा किया जा सकेगा.ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा तेजी से घटी है मुद्रास्फीतिदेश में पिछले साल जुलाई से ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी इलाकों की तुलना में मुद्रास्फीति में कमी की दर अधिक रही है. संसद में गुरुवार को पेश 2018-19 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि महंगाई दर के मौजूदा दौर की एक खास बात यह है कि ग्रामीण महंगाई के साथ-साथ शहरी महंगाई में भी कमी देखने को मिली है. आर्थिक समीक्षा में बताया गया है कि जुलाई, 2018 से ही शहरी महंगाई की तुलना में ग्रामीण महंगाई में कमी की गति अपेक्षाकृत ज्यादा तेज रही है. इसकी बदौलत मुख्य महंगाई दर भी घट गई. आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि ग्रामीण मुद्रास्फीति में कमी खाद्य महंगाई के घटने की वजह से आई है.वित्तमंत्री यह बजट ऐसे वक्त में पेश की हैं, जब देश की अर्थव्यवस्था में कमजोरी आई है. खराब मानसून की आशंका, वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती और व्यापारिक युद्ध की चुनौतियां पहले से ही सामने हैं. बढ़ते व्यापारिक तनाव की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति डवांडोल हो रही है. 2019 के पहले तीन महीनों में जीडीपी कम होकर 5.8 फीसदी हो चुकी है, जो पांच सालों का न्यूनतम स्तर है. भारत की आर्थिक वृद्धि दर चीन से भी नीचे जा चुकी है, जो 6.4 फीसदी रहा है.