रांची: अगर आप झारखंडी आदिवासी खानपान के शौकीन है तो आपकी ये इच्छा पूरी हो सकती है. इसके लिए आपको आदिवासी उड़ान केंद्र से संपर्क करना होगा. ये केंद्र झारखंडी खान-पान को बढ़ावा देने के अलावा बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान करती है. साथ ही कुछ जगहों पर स्टॉल भी लगाती है.
आदिवासी खानपान व्यंजनों का स्टॉल बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के तीन दिवसीय कृषि मेला में लगाया गया. जो इस मेले में मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा. साथ ही मड़ुआ की रोटी, मड़ुआ की रोल, मड़ुआ, छिलका रोटी, मड़ुआ लड्डू, और विभिन्न प्रकार के साग को लोगों ने पसंद किया.
बता दें कि झारखंडी खानपान धीरे-धीरे झारखंड से लुप्त होते जा रहा है. लोग मॉडर्न कल्चर को अपनाते हुए तरह-तरह के खानों का अब स्वाद ले रहे हैं. लेकिन इस संस्था के द्वारा झारखंडी आदिवासी परंपरा को बनाए रखने के उद्देश्य से मिनी रेस्ट्रो खोला गया है. ताकि लोग झारखंडी रेसिपी और व्यंजनों का स्वाद चख सकें.
वहीं, लोगों द्वारा झारखंडी खानपान की बहुत तारीफ की गई. लोगों ने कहा कि इस तरह के पकवान अब नहीं मिलते. उन्होंने ये भी कहा कि झारखंडी खानपान में कई रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता होती है. साग का सूप औषधि का काम करता है. ऐसे में आदिवासी उड़ान मंच के द्वारा यह प्रयास काफी सराहनीय है.