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लोकतंत्र के महापर्व में अहम भूमिका निभा रहे दिव्यांग वोटर, वोटिंग नहीं करने वाले लें सबक

लोकसभा चुनाव में हर वोट अहम होता है. इसे बखूबी समझा है दिव्यांग वोटरों ने. अब तक हुए मदतान के दौरान बूथों तक उनके पहुंचने की संख्या से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.

दिव्यांग मतदाता

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Published : May 8, 2019, 12:25 PM IST

रांची: प्रदेश में दिव्यांग वोटर्स लोकतंत्र के महापर्व में अपनी महत्वपूर्ण हिस्सेदारी निभा रहे हैं. अब तक राज्य की 14 में से सात लोकसभा सीटों के लिये चुनाव हुए हैं. दो चरण के चुनाव में उनकी बढ़ती संख्या ने साबित किया है कि वो लोकतंत्र में अपनी जिम्मेदारियों को समझते हैं.

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अगर आंकड़ों पर गौर करें तो पहले चरण में हुए मतदान में लगभग 55% दिव्यांग मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया. जबकि दूसरे चरण में यह आंकड़ा 75% से भी ऊपर चला गया. सरकार के दावों का यकीन करें तो दूसरे चरण में रांची संसदीय इलाके में 95% से अधिक दिव्यांग मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया है. दिव्यांग मतदाताओं के बढ़ते मतदान प्रतिशत के पीछे इलेक्शन कमीशन की भी महत्वपूर्ण भूमिका है. दरअसल इलेक्शन कमीशन ने दिव्यांग मतदाताओं को घरों से मतदान केंद्र तक लाने के लिए पूरी व्यवस्था की. एक तरफ जहां मतदान केंद्रों में व्हील चेयर और वॉलिंटियर्स की व्यवस्था की गई. वहीं दूसरी तरफ उनके आने जाने के लिए वाहन भी लगाए जा रहे हैं.

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इस बारे में राज्य के अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी विनय चौबे ने बताया की अभी तक हुए दो चरण के चुनाव के दौरा विभिन्न श्रेणी के दिव्यांग मतदाताओं के लिए अलग-अलग व्यवस्था की गई थी. उन्होंने कहा कि दृष्टिहीन मतदाताओं के लिए बकायदा ब्रेल में व्यवस्था की गई थी. राज्य में 1,20000 से अधिक दिव्यांग मतदाता हैं. जिनमें सबसे अधिक रांची में 99, 650 उसके बाद पूर्वी सिंहभूम में 8,793 जबकि तीसरे स्थान पर पश्चिमी सिंहभूम है. जहां 8558 दिव्यांग वोटर हैं वही सबसे कम 1533 दिव्यांग मतदाता लातेहार जिले में है.

उन्होंने कहा कि बाकी के दो चरण में भी अच्छे रेस्पॉन्स मिलने की उम्मीद है. 6 मई को संपन्न हुए दूसरे चरण के मतदान के आंकड़ों पर गौर करें तो हजारीबाग संसदीय क्षेत्र में 62.07% दिव्यांग मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. वहीं कोडरमा में लगभग लगभग 73% और खूंटी संसदीय इलाकों में 71% दिव्यांग मतदाता पोलिंग बूथ तक पहुंचे. सबसे अच्छा रिस्पांस रांची संसदीय इलाके में देखने को मिला जहां 75% से अधिक दिव्यांग मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया.

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