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जल, जंगल, जमीन की रक्षा को लेकर चलाई जा रही मुहिम, राज्यपाल ने वृक्षारोपण कर कार्यक्रम की शुरुआत की

बिरसा मुंडा शहादत दिवस पर जल, जंगल, नदी और जमीन को बचाने को लेकर विकास भारती संस्था ने एक अभियान की शुरुआत की. राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने वृक्षारोपण कर पर्यावरण को बचाने का संदेश दिया.

पर्यालरण बचाने को लेकर जागरूकता शिविर का आयोजन

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Published : Jun 9, 2019, 11:14 PM IST

रांची: जल, जंगल, जमीन और नदी को बचाने के लिए विकास भारती संस्था की ओर से एक अभियान की शुरुआत की गई. जिसके तहत पर्यावरण सुरक्षा, जल संरक्षण, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता जैसे विषयों पर राज्य के 5 हजार गांवों में जागरूकता शिविर का आयोजन किया जाएगा. जिसकी शुरुआत राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने की. इस दौरान मेयर आशा लकड़ा सहित कई गणमान्य मौजूद रहे.

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इस अभियान के तहत झारखंड में हो रही प्राकृतिक क्षति को लेकर लोगों को जागरूक किया जाएगा. यह अभियान 9 जून से लेकर 15 जुलाई तक पूरे राज्य में चलाया जाएगा. इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप मौजूद राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कार्यक्रम की शुरुआत वृक्षारोपण कर की.

राज्यापाल ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदुस्तान की धरती पर समय-समय पर स्वतंत्रा सेनानी ने जन्म लिया है, ऐसे ही एक वीर बिरसा मुंडा थे. उन्होंने बिहार-झारखंड में अंग्रेजों से स्वतंत्रता के लिए लड़ते हुए भगवान का दर्जा पाया. वहीं, उन्होंने झारखंड में हो रहे पर्यावरण नुकसान को लेकर कहा कि आज पूरा देश ग्लोबल वार्मिंग से जूझ रहा है और इसमें झारखंड भी पीछे नहीं है.

उन्होंने कहा कि तापमान आज से कुछ वर्ष पहले बिल्कुल भी ऐसा नहीं था. इसलिए हमें पेड़ लगाना ही नहीं, बल्कि उसे बचाने की भी कोशिश करनी होगी और हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी के तहत पेड़ को कटने से बचाना होगा, तभी झारखंड अपने मूल रूप में वापस आ पाएगा.

वहीं, राज्यपाल ने लोगों को अपनी जिम्मेदारी बताते हुए कहा कि जल, जंगल, जमीन और नदी की हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी समझकर रक्षा करें. सिर्फ सरकारी अमले का दोषारोपण न करें. प्रत्येक व्यक्ति जल, जंगल, जमीन और नदी को बचाने के लिए प्रयासरत रहेगा, तभी आने वाले भविष्य में हो रही प्राकृतिक क्षति को बचा सकते हैं.

मौके पर मौजूद पद्मश्री डॉ अशोक भगत ने कहा कि इस अभियान के माध्यम से पूरे राज्य में नदी, पेड़, जंगल और जमीन को सुरक्षित रखना हमारा प्रथम उद्देश रहेगा. झारखंड के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए राज्य में आदिवासियों के अस्तित्व को बचाना भी प्राथमिकता रहेगी, तभी जंगल को सुरक्षित रखा जा सकता है.

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