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कांग्रेस के इन पूर्व IPS अफसरों को नहीं मिला टिकट, पार्टी ने कहा महागठबंधन का उद्देश्य पूरा करना लक्ष्य

लोकसभा चुनाव के मद्देनजर टिकट की आस में कांग्रेस में शामिल हुए तीन पूर्व आईपीएस अधिकारियों को नहीं मिला टिकट. पार्टी ने कहा महागठबंधन का उद्देश्य पूरा करना हमारा लक्ष्य है. राजीव कुमार, अरुण उरांव और रामेश्वर उरांव कांग्रेस के लिए कर रहे हैं काम.

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Published : Apr 21, 2019, 12:29 PM IST

रांची: प्रदेश के तीन पूर्व आईपीएस अधिकारियों को इस बार टिकट नहीं मिलने की ब्यूरोक्रेसी में काफी चर्चा हो रही है. आईएएस और आईपीएस लॉबी में होने वाली चर्चा पर यकीन करें तो पूर्व आईपीएस, अध्यक्ष ने कांग्रेस के तीन पूर्व आईपीएस नेताओं को चुनाव में टिकट से वंचित करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है.

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दरअसल, मामला झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी का है, जिसके अध्यक्ष अजय कुमार आईपीएस अधिकारी रह चुके हैं. वहीं पार्टी के तीन पूर्व आईपीएस अधिकारी प्रदेश में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर टिकट पाने वालों की लाइन में खड़े थे. लेकिन उन्हें हताशा का सामना करना पड़ा. उनमें से एक राजीव कुमार ने अभी हाल में ही कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की रैली में पार्टी का दामन थामा था. जबकि अरुण उरांव और रामेश्वर उरांव पहले से ही कांग्रेस के साथ हैं.

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पार्टी के अंदरखाने से मिली जानकारी के अनुसार रामेश्वर उरांव और अरुण उरांव के बीच लोहरदगा संसदीय सीट को लेकर दावेदारी थी. जबकि राजीव कुमार को दिल्ली भेजने के लिए वाया पलामू का रास्ता तय करना था. लेकिन तीनों में से किसी नेता को टिकट नहीं मिला. क्योंकि महागठबंधन के घटक दलों के बीच हुई रस्साकशी की वजह से जेपीसीसी प्रमुख अजय कुमार का चुनाव लड़ना सशंकित हो गया. इसी लपेटे में तीनों पूर्व आईपीएस अधिकारी भी आ गए. जबकि सत्तारूढ़ बीजेपी ने एक बार फिर पूर्व आईपीएस बीडी राम पर दांव लगाया है.

इस सवाल को प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता राजीव रंजन ने सिरे से खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस का मुख्य उद्देश्य सत्तारूढ़ बीजेपी को देश और राज्य से उखाड़ फेंकना है. उसी आधार पर सभी लोकसभा सीट के लिए कैंडिडेट्स का चुनाव हुआ है. साथ ही उस क्षेत्र के नेताओं और कार्यकर्ताओं से फीडबैक ली गई है. ताकि सही कैंडीडेट्स को ही चुनावी मैदान में उतारा जा सके. उन्होंने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय की भूमिका इसमें नहीं है.अगर ऐसा होता तो उन्हें अपने सीट का त्याग नहीं करना पड़ता. बल्कि स्क्रीनिंग कमेटी के निर्णय के बाद ही कैंडिडेट्स का चुनाव हुआ है. ताकि महागठबंधन के उद्देश्य को पूरा किया जा सके.

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