जमशेदपुर: मोदी सरकार ने बड़े ही ताम जाम के साथ सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत की थी. लेकिन जमशेदपुर के बांगुरदा कागजों पर तो आदर्श गांव हो गया है. लेकिन यहां रहने वाले एक ही परिवार के तीन दृष्टिहीन लोगों के जीवन में अंधेरा छाया हुआ है.
तीन साल पहले दिया था मदद का आश्वासन, अब गढ़ रहे आदर्श गांव के विकास की 'नई परिभाषा' - MP
आदर्श गांव के एक ही परिवार में 3 लोग दिव्यांग है. किसी से चावल तो किसी से पैसे उधार लेकर घर चलाना पड़ता है. उनका कहना है कि उन्हें विकास के नाम वोट मांगा जाता है. लेकिन इस बार इन्होंने कहा कि मर जाएंगे पर वोट नहीं देंगे.
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जमशेदपुर: लौहनगरी से 40 किलोमीटर दूर पटमदा के आदर्श गांव बांगुरदा के रहने वाले दीपक महतो, दशरथ महतो, आलमति महतो एक ही परिवार के तीन दृष्टिहीन लोग अंधकार में जीवन जीने को मजबूर हैं. तीन साल पहले सांसद विद्युत बरण महतो ने इनके जीवन में उजाला लाने का आश्वासन दिया था जो अब तक पूरा नहीं हो पाया.
इस परिवार में 3 लोग दृष्टिहीन हैं किसी से चावल तो किसी से पैसे उधार लेकर घर चलाते हैं. उनका कहना है कि मर जाएंगे पर वोट नहीं देंगे. महिलाओं ने बताया कि घर चलाना मुश्किल है.
हमारे संवाददाता ने जब सांसद को तीन साल पहले दिए गए आश्वासन के बारे में याद दिलाया तो वे आदर्श गांव के विकास की एक नई परिभाषा गढ़ रहे हैं.
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सिर्फ वोट बैंक की राजनीति के लिए नेता जनता को आश्वासन का झुनझुना थमाते हैं. तीन साल बीत जाने के बाद भी सांसद के आदर्श गांव में इन तीन दृष्टिहीनों को सांसद का आश्वासन पूरा होने का इंतजार है.