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झारखंड में फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाएं, 30 जून तक करें आवेदन - Agro Processing Cluster Infrastructure

राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने कहा कि झारखण्ड में 2013-14 में कृषि क्षेत्र में विकास दर नेगेटिव (- 4.5 प्रतिशत) थी. विगत 5 वर्षों में यह बढ़कर 14.5% के करीब हो गयी है. झारखण्ड देश भर को खनिज दे रहा है, वन क्षेत्र हमने घटने नहीं दिया, बिना पर्याप्त सिंचाई सुविधा के राज्य के किसानों ने कृषि उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि की है.

महेश पोद्दार, राज्यसभा सांसद

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Published : Jun 21, 2019, 11:49 PM IST

रांची: राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने भारत सरकार द्वारा शुरू की गयी प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना के तहत झारखंड में एक भी मेगा फूड पार्क, कोल्ड चैन, वैल्यू एडिशन स्ट्रक्चर, एग्रो प्रोसेसिंग कलस्टर इंफ्रास्ट्रक्चर एवं प्रिजर्वेशन कैपिसिटी के सृजन/विस्तार से सम्बंधित यूनिट स्थापित नहीं हो पाने पर निराशा जाहिर की है. पोद्दार ने इस विषय को शुक्रवार को राज्यसभा में अतारांकित प्रश्न के तहत उठाया था.
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने उत्तर देते हुए बताया कि झारखंड से पात्र प्रस्ताव प्राप्त न होने के कारण आज की तारीख तक कोई परियोजना अनुमोदित नहीं की गई है. पोद्दार को सदन में बताया गया कि भारत सरकार के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने 6 हजार करोड़ रुपये की प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना शुरू की है. इनमें मेगा फूड पार्क, कोल्ड चैन, वैल्यू एडिशन स्ट्रक्चर, एग्रो प्रोसेसिंग कलस्टर इंफ्रास्ट्रक्चर एवं प्रिजर्वेशन कैपिसिटी के सृजन/विस्तार की योजनाएं शामिल हैं.
इस योजना के तहत असम में 2, छत्तीसगढ़ में 2, गुजरात में 10, हरियाणा में 12, हिमाचल प्रदेश में 9, जम्मू एवं कश्मीर में 12, कर्णाटक में 8, केरल में 4, मध्य प्रदेश में 7, महाराष्ट्र में 24, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम में एक-एक, पश्चिम बंगाल में 4, उत्तराखंड में 5, उत्तर प्रदेश में 18, तमिलनाडु में 17, राजस्थान में 7, पंजाब में 4, ओड़िसा में 2 और नागालैंड में 4 इकाईयां स्थापित हुई हैं.
स्कीम के अंतर्गत सामान्य क्षेत्रों में परियोजना लागत के 35% और हिमालयी प्रदेशों, पूर्वोत्तर राज्यों, द्वीप समूहों में 50% की दर से अधिकतम 5 करोड़ रुपये की अनुदान सहायता दी जाती है. खाद्य प्रसंस्कण उद्योग मंत्रालय ने देश में खाद्य प्रसंस्करण यूनिटों की स्थापना के लिए इच्छुक उद्यमियों/निवेशकों से ऑनलाइन प्रस्ताव आमंत्रित करने के लिए अभिरुचि की अभिव्यक्ति (ईओआई) जारी की है। ऑनलाइन प्रस्ताव प्रस्तुत करने की अंतिम तारीख 30 जून , 2019 है.
पोद्दार ने कहा कि झारखण्ड में 2013-14 में कृषि क्षेत्र में विकास दर नेगेटिव (- 4.5 प्रतिशत) थी. विगत 5 वर्षों में यह बढ़कर 14.5% के करीब हो गयी है. झारखण्ड देश भर को खनिज दे रहा है, वन क्षेत्र हमने घटने नहीं दिया, बिना पर्याप्त सिंचाई सुविधा के राज्य के किसानों ने कृषि उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि की है. इसलिए अब भारत सरकार और राज्य सरकार का दायित्व बनता है कि किसानों को संरक्षण दें.
राज्य में कृषि उत्पादन बढ़ा है. झारखण्ड से मटर, गोभी, टमाटर जैसी सब्जियां देश के अन्य हिस्सों में बड़े पैमाने पर भेजी जाती हैं. लेकिन, कृषि उत्पादों को सुरक्षित रखने की सुविधा नहीं होने के कारण किसानों को अपनी उपज औने-पौने दाम पर बेचनी पड़ती है, उन्हें वाजिब कीमत नहीं मिल पाती. कई बार तो इन्हें बाज़ार में लागत मूल्य से भी कम मिलती है, जिसकी वजह से किसान अपनी उपज सड़कों पर फेंकने को विवश हो जाते हैं. अगर किसानों को कोल्ड चैन की सुविधा मिले तो वे उचित समय पर अपने उत्पाद बेचेंगे और अच्छी कीमत पायेंगे.

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