रांची: बार काउंसिल ऑफ इंडिया के द्वारा उठाया गया अधिवक्ताओं के हितों के लिए आमसभा कर मांगों और उनके तय किए गए आंदोलन पर चर्चा की गई. जिसके बाद पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन और जिला बार एसोसिएशन के बैनर तले तमाम अधिवक्ता अपनी मांगों को लेकर उपायुक्त कार्यालय पहुंचे.
जिसके बाद पुलिस मेन गेट पर ताला लगा दिया. जिससे नाराज अधिवक्ता मुख्य गेट के बाहर बैठकर प्रदर्शन कर रहे हैं. अधिवक्ता अपनी मांगों को लेकर उपायुक्त को ज्ञापन सौंपने पहुंचे थे. लेकिन ज्ञापन सौंपने से पहले ही अधिवक्ताओं को गेट पर ही रोक दिया गया, जिससे आक्रोशित अधिवक्ताओं ने उपायुक्त हाय-हाय के नारे लगाना शुरू कर दिए.
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के पारित आदेश के बाद अधिवक्ताओं में राजनीतिक हलचल शुरू हो गई है. अधिवक्ता एसोसिएशन के लोग तमाम अधिवक्ताओं को एकजुट करने में लगे हुए हैं. इसी कड़ी में सोमवार को उपायुक्त कार्यालय पहुंचकर प्रदर्शन कर रहे हैं.12 फरवरी को पैदल मार्च करते हुए राजभवन में महामहिम को प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपेंगे. इस दौरान तमाम अधिवक्ता न्यायिक कार्यों से दूर रहेंगे.
अधिवक्ताओं ने लगाए उपायुक्त के हाय-हाय के नारे
बीसीआई के द्वारा अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए निम्न प्रस्ताव पारित किया है:
- राज्य सरकार अधिवक्ता समुदाय के कल्याण के लिए निमित्त कुछ राशि का बजट में उपबंध करें और अधिवक्तागणों के कल्याण में उसका सदुपयोग किया जाए.
- राज्य के अधिवक्ताओं को सस्ते दर पर आवास और भूमि उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाए ताकि अधिवक्ताओं उपरोक्त मौलिक सुविधाओं का उपयोग कर अपने सामाजिक कार्य में और ध्यान से संलग्न हो सके.
- राज्य के समस्त अधिवक्तागणों को आयुष्मान भारत योजना से जोड़ा जाए और जिनकी वार्षिक आय 5 लाख या उससे भी कम है, उसको प्रथम फेज में ही तत्काल आयुष्मान भारत योजना से जुड़ा जाए.
- अधिवक्ताओं की पूरी एकीकृत व्यवस्थित प्रशिक्षण और कार्यशाला बनाए जाने के लिए रांची में भूमि और भवन के लिए उचित राशि की व्यवस्था की जाए ताकि अधिवक्ताओं को एक स्थाई कार्यशाला के जरिए उन्हें लगातार प्रशिक्षण दिलाया जा सके.
- जिनकी आय शुरू के 4-5 साल में लगातार नहीं होती है. उन सभी अधिवक्ताओं को स्टीफन के तौर पर 5 साल के लिए कम से कम 10 हजार हर महीने के लिए उपलब्ध कराया जाए.
- 65 से अधिक उम्र वाले अधिवक्ता जो विभिन्न कार्यों और बीमारी आदि के कारण वकालत के पेशे को नहीं कर पाते, उन सभी अधिवक्ताओं को 10 हजार हर महीने पेंशन के रूप में दिया जाए.
- प्रत्येक सिविल कोर्ट और उच्च न्यायालय के अधिवक्तागणों को बैठने की उचित व्यवस्था की जाए, लाइब्रेरी कैंटीन और अन्य सुविधाओं दी जाए.