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रघुवर कैबिनेट में 18 प्रस्तावों पर लगी मुहर, सृजित पदों पर काम कर रहे लोगों की होगी नियमित सर्विस

मंगलवार को रघुवर कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें 18 प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई. कैबिनेट सेक्रेट्री अजय कुमार सिंह ने बताया कि सृजित पदों पर काम कर रहे अनियमित कर्मियों कट ऑफ डेट 10 अप्रैल 2006 मानी गई. उस डेट के पहले 10 साल नौकरी कर चुके लोगों को इसका लाभ देने का फैसला लिया गया. वहीं, मंगलवार को ही कैबिनेट की बैठक में अब कट ऑफ डेट सरकार के इस निर्णय को कार्मिक विभाग के नोटिफाई करने की तिथि से माना जाएगी. दूसरे शब्दों में यह कहे कि 2009 से सृजित पदों के अगेंस्ट काम कर रहे लोगों की सर्विस नियमित होने की संभावनाएं बढ़ गई हैं.

रघुवर कैबिनेट में 18 प्रस्तावों पर लगी मुहर

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Published : Jun 18, 2019, 7:55 PM IST

रांची: झारखंड सरकार के कई विभागों में पिछले करीब 10 साल से सृजित पदों पर अनियमित रूप से काम कर रहे लोगों के लिए एक अच्छी खबर है. राज्य सरकार ने ऐसे कर्मियों की नौकरी नियमित करने के लिए 2015 में बनी नियमावली में संशोधन पर अपनी स्वीकृति दे दी है. मंगलवार को प्रोजेक्ट बिल्डिंग में हुई स्टेट कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया.

अजय कुमार सिंह, कैबिनेट सेक्रेटरी

दरअसल, पहले इसके लिए कट ऑफ डेट 10 अप्रैल 2006 मानी गई. उस डेट के पहले 10 साल नौकरी कर चुके लोगों को इसका लाभ देने का फैसला लिया गया. वहीं, मंगलवार को ही कैबिनेट की बैठक में अब कट ऑफ डेट सरकार के इस निर्णय को कार्मिक विभाग के नोटिफाई करने की तिथि से माना जाएगी. दूसरे शब्दों में यह कहे कि 2009 से सृजित पदों के अगेंस्ट काम कर रहे लोगों की सर्विस नियमित होने की संभावनाएं बढ़ गई हैं.

कैबिनेट सेक्रेट्री अजय कुमार सिंह ने बताया कि ऐसे लोगों को 6 महीने के अंदर अप्लाई करना होगा, ताकि राज्य सरकार उनकी संख्या का आंकलन कर सके. उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था सृजित पदों पर काम कर रहे लोगों के लिए है. इसके अलावा राज्य सरकार ने नई पेंशन अंशदान योजना के तहत रिटायरमेंट और डेथ ग्रेच्युटी देने के निर्णय पर भी अपनी सहमति दी. कैबिनेट सेक्रेटरी ने बताया कि इसके साथ ही राज्य सरकार ने झारखंड पदों और सेवाओं की नियुक्ति में अनुसूचित जनजाति अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के लिए द्वितीय संशोधन अध्यादेश 2019 पर भी स्वीकृति दी.

इसके तहत राज्य स्तर पर होने वाली नियुक्ति के लिए रास्ता साफ कर दिया गया और आरक्षण का स्तर 60 फीसदी कर दिया गया है. कैबिनेट सेक्रेट्री ने बताया कि जिले स्तर के रोस्टर में कुछ तकनीकी समस्या आ रही है. यही वजह है कि जिले स्तर पर प्रावधान अभी नहीं हो पा रहा है. उन्होंने बताया कि चूंकि ओबीसी सर्वेक्षण का आंकड़े का संग्रहण किया जा रहा है. इसलिए फिलहाल केवल राज्य स्तर पर 60 फीसदी आरक्षण का रास्ता साफ कर दिया गया है.

उन्होंने कहा कि कौबिनेट में 18 प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई है. अति कमजोर जनजातीय समुदाय बहुल आबादी वाले गांव को आदर्श ग्राम के रूप में विकसित किया जाएगा. कैबिनेट सेक्रेटरी ने बताया कि उन गांवों का समेकित विकास करते हुए यह कदम उठाया जाएगा, जिसमें आवास, पेयजल, पेंशन, डाकिया योजना और स्ट्रीट लाइट योजनाओं का कार्यान्वयन किया जाएगा. उन्होंने बताया कि 2011 की जनसंख्या के अनुसार राज्य में वैसे 10 अति कमजोर जनजातीय समूह हैं और उनकी आबादी 2.92 लाख है.

वक्फ बोर्ड में बनेगा 3 सदस्य ट्रिब्यूनल इसके साथ ही कैबिनेट में वक्फ संशोधन अधिनियम 2013 और हाईकोर्ट के एक डायरेक्शन के आधार पर 3 सदस्य वक्फ ट्रिब्यूनल के गठन करने का निर्णय लिया है. फिलहाल वक्फ बोर्ड में एक सदस्य है. इसमें निर्णय के आधार पर एक झारखंड प्रशासनिक सेवा का अधिकारी सदस्य होगा, जबकि दूसरा सदस्य कॉन्ट्रैक्ट पर मुस्लिम मामलों का जानकार होगा.

वहीं, राज्य सरकार ने श्रम विभाग के एक प्रस्ताव पर सहमति देते हुए अब ओवरटाइम महीने में अधिकतम 50 घंटे तक करने संबंधी प्रस्ताव पर सहमति दी है. पहले 3 महीने में अधिकतम 75 घंटे ओवरटाइम करने का प्रावधान कारखाना एक्ट 1948 में किया गया. कैबिनेट सेक्रेटरी ने बताया कि उस एक्ट में संशोधन कर अब महिलाओं को शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे तक काम करने की इजाजत भी दी गई है.

इसके अलावा राज्य सरकार ने आकांक्षी 6 जिलों गुमला, खूंटी, पाकुड़, साहिबगंज, सिमडेगा और पश्चिम सिंहभूम में हर साल दिए जाने वाले 50 करोड़ की राशि में से 10 करोड़ की राशि डिप्टी कमिश्नर के नेतृत्व वाली समिति के निर्णय से खर्च होने पर सहमति दी है. दरअसल, उन जिलों में हर साल 50 करोड़ वहां के विकास के लिए विभिन्न योजनाओं में खर्च करने के लिए दिए जाने का प्रावधान है. इस पर मुख्य सचिव के नेतृत्व वाली एक समिति अंतिम मुहर लगाती है.

इसके अलावा कैबिनेट ने सिंचाई से जुड़ी 4 परियोजनाओं पर भी अपनी मुहर लगाई. एक अन्य मामले में यह भी तय हुआ कि संथाल परगना इलाके में दान पत्र या बदलनामा कागजातों के आधार पर उन जमीनों पर कच्चे मकान बनाकर रह रहे लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिया जाए. इसके तहत यह तय हुआ कि वैसी विवादरहित जमीनों पर कच्चे मकान बनाकर रह रहे लोगों को इस योजना का लाभुक माना जाएगा. इसके साथ ही ग्राम सभा और वहां के वार्ड से भी इस बाबत इजाजत ली जाएगी. चूंकि संथाल परगना में संथाल परगना टेनेंसी एक्ट के अनुसार वहां की अनुसूचित जनजाति के स्वामित्व वाली जमीन की खरीद बिक्री संभव नहीं है इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह निर्णय लिया है.

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